धारकलां में नहीं पानी की धार, बूंद-बूंद को तरस रहे लोग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 02:22 PM

people craving drop drops

आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद पर घर बनाने का प्रयत्न कर रही है वहीं दूसरी ओर आज भी इस देश के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को पीने के पानी के लिए जमीन-आसमान एक करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में विकास के नाम पर भले ही करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे...

पठानकोट (कंवल): आधुनिक युग में जहां दुनिया चांद पर घर बनाने का प्रयत्न कर रही है वहीं दूसरी ओर आज भी इस देश के कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को पीने के पानी के लिए जमीन-आसमान एक करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में विकास के नाम पर भले ही करोड़ों रुपए खर्च करने के दावे सरकारी फाइलों में किए गए हों मगर हकीकत इससे कोसों दूर है। ऐसा ही क्षेत्र है जिला पठानकोट के अधीन आता ब्लाक धारकलां, जहां आज भी कई छोटे-छोटे गांवों के लोगों को पेयजल आपूॢत के लिए जान की बाजी लगानी पड़ रही है। आज भी लोगों को पीने योग्य पानी के लिए कुदरती स्रोतों पर ही निर्भर होना पड़ रहा है जिसके चलते अनेक गांवों के लोगों को खड्डों, तालाबों, कुओं, बावलियों या फिर रणजीत सागर बांध की झील पर ही निर्भर होना पड़ रहा है।

2 दर्जन गांव प्यासे, 2-3 दिन बाद भी नहीं मिलता पानी
पंजाब, जिसे 5 दरियाओं की धरती कहा जाता है, वहां लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं खासकर उस इलाके में जहां पर रावी दरिया बहता है और लोग पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करें तो यह बात सभी को हैरानी में डाल देती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है पठानकोट के अद्र्धपर्वतीय क्षेत्र धारकलां में जहां पर नियाड़ी, बसोन, प्लंग्गी, धारखुर्द, जलाहड़, दरबान, बाड़ सुडाल, सुखनियाल, खुखियाल, भमलाधा, कूई, पंजाला, भट्टोली, करून, बासा लधेटी आदि लगभग 2 दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं, जिन्हें कुदरती स्रोतों के सहारे पानी लेना पड़ रहा है वहीं, जिन गांवों में वाटर सप्लाई है, उनमें भी 2-3 दिन पानी नहीं आता जिसके पीछे कारण है, इस इलाके में लगाए गए वाटर सप्लाई के प्रोजैक्ट काफी पुराने होना और आबादी के हिसाब से लोगों तक पानी नहीं पहुंचना। 

मीलों दूर से महिलाएं सिर पर मटकों से ढोती हैं पानी
आज भी महिलाएं अपने सिरों पर घड़े उठाकर कई-कई किलोमीटर चल कर पीने के लिए पानी लाती हैं और वह भी कुदरती स्रोत बावली से। गर्मियों में अगर बावली भी सूख गई तो फिर इन्हें रणजीत सागर डैम की झील का रुख करना पड़ता है।

कंडी विकास मोर्चा ने की मोर्चे की तैयारी
उधर कंडी क्षेत्र के लोगों की मुश्किलों में हर पल आगे रहने वाली समाजसेवी संस्था कंडी विकास मोर्चा पेयजल समस्या को लेकर सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर मोर्चा खोलने की तैयारी में है। मोर्चा के जिलाध्यक्ष जगदीश डल्ला, महासचिव ओमप्रकाश, मग्घर सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष जगन्नाथ, चमन लाल, जगजीत सिंह, अजित सिंह, जुगल किशोर आदि ने बताया कि लोगों से विभाग 70 रुपए प्रति माह बिल वसूलता है, मगर पानी उपलब्ध करवाने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि जब दुनेरा के लोगों को दिन में 2 बार पानी सप्लाई हो रहा है तो बाकी धारकलां के लोगों को प्यासे क्यों रखा जा रहा है? क्षेत्र में कई गांवों सुकरेत, माडवां, मंगनेत आदि को गन्दा पानी सप्लाई में मिलता है क्योंकि पाइपें 30 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी  
अगर दूसरी तरफ बात करें तो वाटर सप्लाई विभाग द्वारा वाटर सप्लाई जिन गांवों को दी गई है, वहां भी पानी 2-3 दिन तक नहीं पहुंच पाता। लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसते हैं। इस संबंधी वाटर सप्लाई विभाग के एस.डी.ओ. सिमरनजीत सिंह का कहना है कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण प्रोजैक्ट नहीं लग पाए हैं। जो प्रोजैक्ट यहां लगे हैं, वे काफी पुराने हैं जिस कारण आबादी के हिसाब से लोगों तक पानी नहीं पहुंच रहा क्योंकि पानी को बांध की झील में से लिफ्टिंग करके लोगों तक पहुंचाया जाता है जिसमें 2-3 दिन का समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि इस इलाके में नए प्रोजैक्टों की जरूरत है।

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