Edited By Updated: 24 Feb, 2017 05:43 PM
नगर निगम ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स 2016 को लागू करने की तैयारी कर ली है जिसके तहत अब अाप ज्यादा मेहमानों को अपने घर नहीं बुला सकते क्योंकि इसके लिए अाप पर शिंकजा कसा जा सकता है।
जालंधरः नगर निगम ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स 2016 को लागू करने की तैयारी कर ली है जिसके तहत अब अाप ज्यादा मेहमानों को अपने घर नहीं बुला सकते क्योंकि इसके लिए अाप पर शिंकजा कसा जा सकता है। अगर आपने घर, गली या मोहल्ले में कोई पार्टी करनी है और वहां 100 से ज्यादा मेहमान आने वाले हैं तो इस पार्टी के लिए आपको नगर निगम से मंजूरी लेनी होगी।
2016 से लागू हुए इन रूल्स पर एक साल बाद निगम ने काम करना शुरू किया है। नगर निगम के हेल्थ अफसर डॉ. श्रीकृष्ण शर्मा ने कहा कि सेनेटरी इंस्पेक्टर्स को ऐसे प्रोग्रामों के चालान काटने के लिए कहा गया है। रुल्स 2016 के तहत कूड़े का निपटारा करने की जिम्मेदारी उसी की है जो कूड़ा पैदा करने वाले की जिम्मेवारी हो जाएगा। कूड़े को पैदा होने के सोर्स यानि घर, दुकान, कमर्शियल कांप्लेक्स, कारखाने में ही अलग-अलग रखना होगा। इसके लिए तीन डस्टबिन रखने होंगे। निगम को डोर टू डोर क्लेक्शन का भी पूरा इंतजाम करना होगा। यह इंतजाम 7 अप्रैल 2018 तक करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में स्वच्छ भारत अभियान लागू करने के बाद सफाई व्यवस्था की स्थिति में परिवर्तन आते जा रहे हैं। पिछले साल केन्द्र सरकार ने 16 साल बाद सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट से संबंधित नियमों को संशोधित किया, जिस दौरान शहरी निकायों से इकट्ठे होते कूड़े को उठाने तथा कूड़े को अलग-अलग करने से संबंधित कई नए नियम बनाए गए हैं। इन्हीं नियमों का पालन करने के आदेश जालंधर नगर निगम को भी मिले हैं और हाल ही में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में भी इन नियमों के पालन
के अंक रखे गए हैं।
कूड़े को घर से ही अलग-अलग करने पर जोर
सरकार ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट नियमों में संशोधन करके यह सुनिश्चित बनाने को कहा है कि घरों से कूड़ा निकालते समय ही वह 3 अलग-अलग डस्टबिन में हो। एक डस्टबिन में किचन वेस्ट व गीला कूड़ा, दूसरे में अखबार, लकड़ी, गत्ता या प्लास्टिक इत्यादि उपयोग की वस्तुएं तथा तीसरे डस्टबिन में खतरनाक चीजों से संबंधित कूड़ा रखा जाए। पर्यावरण संतुलन हेतु किचन वेस्ट को ट्रीट करके खाद या एनर्जी आदि बनाई जाए और रिसाइकिल हो सकने वाले कूड़े को दोबारा इस्तेमाल हेतु अलग रखा जाए। सैनेटरी नैपकिन, मैडीकल वेस्ट तथा कैमिकल के डिब्बे इत्यादि अलग से रखे जाएं ताकि वे दूसरे कूड़े में मिक्स न हों।
इन हाऊस वेस्ट हैंडलिंग सिस्टम लागू हो
केन्द्र सरकार का प्रयास है कि नए नियमों के मुताबिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट हेतु इन हाऊस वेस्ट हैंडलिंग सिस्टम लागू किया जाए। नई टाऊनशिप और ग्रुप हाऊसिंग सोसायटी को अपना कूड़ा खुद संभालने को कहा जाए। एस.ई.जैड., इंडस्ट्रीयल एस्टेट तथा इंडस्ट्रीयल पार्क को 5 प्रतिशत जगह या 5 खाली प्लाट रिसाइकिं्लग हेतु रखने को कहा जाए। सभी घर, होटल, रैस्टोरैंट तथा मार्कीट वाले कूड़े को खुद अलग-अलग करके उसे वेस्ट कैरियर या निगम को सौंपे। कंस्ट्रक्शन से संबंधित मलबे को कूड़े में न मिलाया जाए तथा हॉर्टीकल्चर वेस्ट को भी अलग से निपटाया जाए। नियमों में यह भी प्रावधान है कि कोई भी आयोजन जिसमें 100 से ज्यादा व्यक्ति भाग लें वहां कूड़े की एट सोर्स हैंडलिंग हो और वहीं कूड़े को अलग-अलग किया जाए। ये नियम इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि इस समय देश में सिर्फ 553 कम्पोस्ट प्लांट, 56 बायो प्लांट तथा 13 वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित हैं जबकि ये प्लांट कई गुना ज्यादा होने चाहिएं।
साल में 62 मिलियन टन कूड़ा निकलता है
केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए डाटा के अनुसार इस समय देश में 62 मिलियन टन कूड़ा निकलता है जिसमें से 5.6 मिलियन प्लास्टिक होता है, 0.17 मिलियन बायोमैडीकल वेस्ट। भारतीय शहरों में एक व्यक्ति 200 से 600 ग्राम तक प्रतिदिन कूड़ा उत्पादन करता है। अगर इस कूड़े को समय रहते नहीं संभाला गया तो 2030 तक यह कूड़ा बढ़ कर 165 मिलियन टन हो जाएगा।