पराली जलाना शौक नहीं मजबूरी है किसानों की!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 10:58 AM

parali fire

पंजाब ही नहीं पूरे उत्तर भारत में किसानों द्वारा पराली जलाने से पैदा हो रहे प्रदूषण को लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है। दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण है और दूसरे नंबर पर पंजाब है। पंजाब सहित सारे राज्य इस प्रदूषण से पैदा हो रही स्मॉग के लिए किसानों को...

जालंधर(बुलंद): पंजाब ही नहीं पूरे उत्तर भारत में किसानों द्वारा पराली जलाने से पैदा हो रहे प्रदूषण को लेकर हो-हल्ला मचा हुआ है। दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण है और दूसरे नंबर पर पंजाब है। पंजाब सहित सारे राज्य इस प्रदूषण से पैदा हो रही स्मॉग के लिए किसानों को जिम्मेदार बता रहे हैं। पर क्या असल में सारा दोष किसानों का ही है और क्या सारी सख्ती किसानों पर ही होनी चाहिए। इस बात की तह तक जाने के लिए हमने सीधा किसानों से बात की तो उनकी मजबूरियां इस प्रकार सामने आईं-

पराली जलाना है मजबूरी : गुरप्रीत सिंह
करतारपुर के किसान गुरप्रीत सिंह का कहना है कि पराली जलाना किसान का शौक नहीं मजबूरी है। उनका कहना है कि किसान भी जानता है कि अगर पराली जलती है तो उससे प्रदूषण होता है पर किसान करे भी तो क्या। अगली फसल बीजने से पहले जमीन पूरी तरह से साफ करनी जरूरी है, जिसके लिए पराली जलानी पड़ती है। अगर सरकार इस जमीन सफाई का खर्चा उठाए तो पराली जलानी बंद हो जाए।

अगली फसल के लिए जमीन साफ करने का और कोई साधन नहीं : कपूर सिंह
किसान कपूर सिंह दयोल का कहना है कि धान के बाद अगली फसल लगाने के लिए 2-3 दिन का समय होता है और इसी बीच सारी जमीन की सफाई करनी होती है। इसलिए अगर पराली न जलाई जाए तो जमीन पर अगली फसल की बिजाई नहीं हो पाती। जमीन साफ करने के लिए किसान को 4-5 हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्चा उठाना पड़ता है जो किसान के लिए संभव नहीं है।

अपनी जिम्मेदारी भी समझे सरकार: दलजीत बसरा
किसान दलजीत सिंह बसरा का कहना है कि किसान बेहद बदहाल हालत में हैं। कर्जे में डूबे किसान को अगर यह कहा जाए कि हजारों रुपए खर्च करके अपनी जमीन की सफाई करवाओ और पराली को हटाओ तो यह उसके बस की बात नहीं है। अगर सरकार अपनी जिम्मेदारी समझे तो किसानों की मदद करे और पराली हटाने का प्रबंध करे।

अधिकतम लागत अगली फसल में रुकावट : मनजीत सिंह
युवा किसान मनजीत सिंह का कहना है कि पराली को अगर जमीन से बिना जलाए हटाना हो तो इसमें काफी पैसा लगता है और लागत इतनी बढ़ जाती है कि किसान अगली फसल नहीं लगा पाता। अगर सरकार धान का समर्थन मूल्य बढ़ा दे और इसमें पराली हटाने का खर्चा शामिल हो तो किसी को पराली जलाने की क्या जरूरत है। क्योंकि पराली के कारण आलू, मटर तथा अन्य सब्जियों की बिजाई में और समस्या पैदा होती है।

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