कैप्टन द्वारा एक बार फिर अकाली दल से पंथक एजैंडा छीनने की कोशिश

Edited By Updated: 29 Mar, 2017 10:56 AM

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10 वर्ष के राजनीतिक वनवास के बाद बंपर बहुमत से पंजाब की सत्ता पर काबिज हुए कै. अमरेन्द्र सिंह ने सिख सियासत के बाबा बोहड़ और लंबा समय

पटियाला(राजेश) : 10 वर्ष के राजनीतिक वनवास के बाद बंपर बहुमत से पंजाब की सत्ता पर काबिज हुए कै. अमरेन्द्र सिंह ने सिख सियासत के बाबा बोहड़ और लंबा समय एस.जी.पी.सी. के प्रधान रहे पंथ रत्न जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा की बरसी 1 अप्रैल को सरकारी तौर पर मनाने का ऐलान करके एक बार फिर से अकाली दल से पंथक एजैंडा छीनने की कोशिश की है। वर्ष 2002 में जब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे तो उस समय भी कैप्टन ने अकालियों से पंथक एजैंडा छीनने की कोशिश की थी। कैप्टन ने 2002 वाले अपने कार्यकाल के दौरान कई सिख यादगारें बना कर सिखों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी। इसके अलावा आप्रेशन ब्लू स्टार के खिलाफ कैप्टन द्वारा लोकसभा और कांग्रेस से इस्तीफा देने के चलते सिख समाज हमेशा ही कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तरफ झुकाव रखता है। 


यही कारण है कि बेशक 2007 और 2012 में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकी थी पर कैप्टन की अगुवाई में लड़े गए इन दोनों चुनावों में कांग्रेस 45 से अधिक सीटें लेकर मुख्य विरोधी पक्ष बनती रही जबकि 1997 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस को पंजाब में सिर्फ 14 सीटें मिली थीं। सूत्रों के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनावों में टोहड़ा समर्थकों ने खुल कर कै. अमरेन्द्र की हिमायत की, जिस कारण पंथ रत्न जत्थे. टोहड़ा के प्रभाव वाले जिला फतेहगढ़ साहिब, रोपड़ और पटियाला में अकाली दल का सफाया हो गया। 

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