Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 04:04 AM
महानगर में घूम रहे आवारा कुत्तों के झुंडों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है। उक्त कुत्ते खूंखार रूप धारण...
बठिंडा(परमिंद्र): महानगर में घूम रहे आवारा कुत्तों के झुंडों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है। उक्त कुत्ते खूंखार रूप धारण करते जा रहे हैं व आए दिन कोई न कोई इनका शिकार बनने लगा है। उक्त कुत्तों की लोगों में इस कद्र दहशत फैली हुई है कि लोग अपने बच्चों को अकेले घरों से बाहर भेजने से कतराने लगे हैं।
महानगर की हर गली-मोहल्ले में कुत्तों की भरमार है, जो हर किसी का रास्ता रोककर खड़े हो जाते हैं। सुबह-शाम सैर करने वाले लोगों को भी अपने साथ एक छड़ी रखनी पड़ती है, ताकि मुश्किल के वक्त कुत्तों से बचाव हो सके। नगर निगम व पशु पालन विभाग की ओर से कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए कई योजनाएं बनाई गईं लेकिन फंड्स के अभाव के कारण संबंधित विभागों ने हाथ खड़े कर दिए।
मेयर व एस.एस.पी. को भी काट चुके हैं कुत्ते
महानगर में आवारा कुत्तों की दहशत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि आम लोगों के साथ-साथ ये कुत्ते हर वक्त सुरक्षा गार्ड्स से घिरे रहने वाले अधिकारियों को भी निशाना बनाने लगे हैं। पिछले साल नगर निगम के मेयर बलवंत राय नाथ पर भी संजय नगर में कुत्तों ने हमलाकर दिया था व एक कुत्ते ने उन्हें काट लिया था। इसके बाद भी कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए योजना बनाने पर काम शुरू किया गया लेकिन फंडों के अभाव के कारण योजना सिरे नहीं चढ़ सकी।
गत दिनों भटिंडा के एस.एस.पी. को भी एक आवारा कुत्ते ने काट लिया, जिसके बाद फिर से कुत्तों के समाधान पर माथापच्ची की जा रही है। योजनाएं 2011 से ही बनाई जा रही हैं लेकिन अभी तक किसी को मुकम्मल रूप से अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। निजी संस्था के आंकड़ों के अनुसार 10 सालों के दौरान 2,150 लोग इन कुत्तों का शिकार बन चुके हैं व अब भी यह सिलसिला जारी है।
नसबंदी आप्रेशन पर भी उठे थे सवाल
2016 में नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों की नसबंदी का ठेका एक निजी कंपनी को सौंपा गया था। इसके तहत करीब 1,600 कुत्तों की नसबंदी के आप्रेशन किए गए थे। नियमों के अनुसार कंपनी द्वारा कुत्तों को पकड़कर उनका नसबंदी आप्रेशन करना था व उन्हें उसी जगह पर छोडऩा था, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। इसके अलावा कंपनी को 3 दिनों तक कुत्तों की देखरेख भी करनी थी लेकिन उक्त कंपनी के काम पर उस समय सवाल खड़े हो गए, जब आप्रेशन के बाद जख्मी कुत्तों को बिना उपचार के ही शहर में छोड़ दिया, जिससे कुछ कुत्तों की मौत हो गई, जबकि जख्मी कुत्तों को सहारा जनसेवा की शहीद राम सिंह सहारा जीव रक्षा सोसायटी द्वारा संभाला गया। शहर में 5 हजार से अधिक आवारा कुत्ते घूम रहे हैं, जिस कारण लोगों में डर का माहौल है।
फंड्स के कारण सिरे नहीं चढ़ी कोई योजना
नगर निगम तथा पशु पालन विभाग की ओर से आवारा कुत्तों से लोगों को निजात दिलवाने के लिए कई योजनाएं तैयार कीं लेकिन फंड्स के अभाव के कारण कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। निगम द्वारा 2011 में नसबंदी की योजना तैयार की गई थी व टैंडर जारी कर दिए गए थे लेकिन किसी कंपनी ने इस काम में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पता चला है कि एक कुत्ते की नसबंदी पर 690 रुपए का खर्च आता है, जिससे इस योजना का बजट अच्छा-खासा बन जाता है।
इसी दौरान निगम ने कुत्तों को गोद देने की योजना भी बनाई, जिसमें 10 घरों को एक कुत्ता सौंपने का खाका तैयार किया गया, जिन्हें निगम द्वारा कुछ डाइट मनी भी दी जानी थी लेकिन उक्त योजना भी अधर में लटक गई। अब नगर निगम की ओर से आवारा कुत्तों के लिए एक डॉग शैल्टर बनाने की योजना बनाई जा रही है लेकिन यह समय ही बताएगा कि इस योजना को अमली जामा कब तक पहनाया जाएगा।