Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 02:06 PM
देश की राजधानी दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा व अन्य क्षेत्रों में जहां धुंध व धुएं का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा। धुंध में विजिबिल्टी मात्र कुछ मीटर रह गई है। ऊपर से ओवरलोड वाहन यमदूत बन कर सड़कों पर दौड़़ रहे हैं। इन ओवरलोड वाहनों पर विभाग भी काबू...
लुधियाना(सुरिन्द्र/अनिल): देश की राजधानी दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा व अन्य क्षेत्रों में जहां धुंध व धुएं का कहर रुकने का नाम नहीं ले रहा। धुंध में विजिबिल्टी मात्र कुछ मीटर रह गई है। ऊपर से ओवरलोड वाहन यमदूत बन कर सड़कों पर दौड़़ रहे हैं। इन ओवरलोड वाहनों पर विभाग भी काबू नहीं पा रहा। औद्योगिक नगरी में हाईवे से लेकर ङ्क्षलक सड़कों तक ओवरलोड वाहन दौड़ते आम देखे जा सकते हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस द्वारा ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके चालान किए जाते हैं लेकिन यह कार्रवाई नाममात्र ही है। नगर की ट्रैफिक पुलिस को वर्ष 2017 में मात्र 70 ही ऐसे वाहन नजर आए जिनके चालकों ने क्षमता से अधिक सामान लाद रखा था। जबकि इसी साल ओवरहाइट के 288 व ओवरलैंथ के 273 चालान किए गए।
हर वर्ष जाती है डेढ़ लाख लोगों की जान
वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में विभिन्न के कारणों से होने वाले सड़क हादसों में कर वर्ष करीब डेढ़ लाख लोग काल का ग्रास बन जाते हैं जबकि घायल होने वालों की संख्या 5 लाख के करीब है। रोजाना करीब 1317 सड़क हादसे होते हैं व 413 व्यक्ति मारे जाते हैं।
सड़कों के भी दुश्मन हैं ओवरलोड वाहन
हादसों का कारण बनने के साथ-साथ ओवरलोड वाहन देश की सड़कों के भी दुश्मन हैं। ओवरलोड वाहनों के कारण सड़कें अपनी अवधि से पहले टूट रही हैं। टूटी सड़कों के कारण भी हादसों का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है। आंकड़ों के अनुसार सड़कें समय से पहले टूटने की पीछे 35 फीसदी जिम्मेदारी ओवरलोड वाहनों की है।