Edited By Updated: 31 Oct, 2016 09:41 AM
रासायनिक खाद व कीटनाशकों से जहां पंजाब की जमीन लगातार अपनी उर्वरता खो रही है, वहीं अमृतसर में बेसहारा व दिव्यांग बच्चों की सेवा के काम कर रही भगत पूरन सिंह पिंगलवाड़ा चेरिटेबल सोसायटी ने ऑर्गेनिक (जैविक) खेती को लाभदायक बनाकर मिसाल कायम की है।
अमृतसरः रासायनिक खाद व कीटनाशकों से जहां पंजाब की जमीन लगातार अपनी उर्वरता खो रही है, वहीं अमृतसर में बेसहारा व दिव्यांग बच्चों की सेवा के काम कर रही भगत पूरन सिंह पिंगलवाड़ा चेरिटेबल सोसायटी ने ऑर्गेनिक (जैविक) खेती को लाभदायक बनाकर मिसाल कायम की है। अपने इस भगीरथ प्रयास के तहत संस्था की मुख्य सेवादार डॉ. बीबी इंद्रजीत कौर लगभग 40 एकड़ रकबे में जैविक तरीके से खेती कर रही हैं। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के साथ-साथ वह राज्य के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी हैं।
जंडियाला गुरु तहसील के धीरांकोट स्थित भगत पूरन सिंह कुदरती खेती फार्म के इंचार्ज राजवीर सिंह कहते हैं कि देसी तकनीक किसानों को कर्ज से तो उबारती ही है, वहीं धरती को बंजर व अनाज को जहरीला होने से भी बचाती है इसलिए किसानों को 'जीरो बजट' वाली इस खेती के तौर तरीके अपनाने चाहिएं। हरित क्रांति के बाद संकर किस्म के बीजों से गेहूं व धान की उपज तो बढ़ी है, लेकिन उतनी ही मात्रा में रासायनिक खाद व कीटनाशकों की खपत भी बढ़ी है। इसका नतीजा यह हुआ कि उपजाऊ शक्ति कम होती जा रही है। पानी के अंधाधुंध दोहन के कारण साल दर साल भूजल स्तर गिर रहा है। यहां खाद व कीटनाशक गोमूत्र, गोबर व गुड़ से तैयार किए जाते हैं।
राजवीर सिंह ने बताया कि अब तक एक हजार सेमिनारों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया गया है। फिनलैंड, इंग्लैंड व कनाडा के किसान भी यहां प्रशिक्षण लेने आ चुके हैं। पिछले दिनों फिलीपींस के कृषि वैज्ञानिक व नेपाल के कृषि मंत्री भी यहां का दौरा कर चुके हैं। कनाडा व इंग्लैंड में संगत चैनल पर हर माह डॉक्यूमेंट्री से जानकारी दी जाती है। यहां पशुपालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।