Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 12:49 PM
गांव बेहडियां में रावी दरिया में चल रहे क्रशरों की जमीन की मालिकाना जांच के लिए माल व ड्रेनेज विभाग की संयुक्त टीम की ओर से वहां का दौरा किया गया। इस दौरान वहां पर बंद क्रशरों के मालिकों ने इस टीम का यह कहकर विरोध किया कि जांच के पहले उन्हें कोई...
सुजानपुर/पठानकोट(हीरा लाल, साहिल, शारदा, आदित्य): गांव बेहडियां में रावी दरिया में चल रहे क्रशरों की जमीन की मालिकाना जांच के लिए माल व ड्रेनेज विभाग की संयुक्त टीम की ओर से वहां का दौरा किया गया। इस दौरान वहां पर बंद क्रशरों के मालिकों ने इस टीम का यह कहकर विरोध किया कि जांच के पहले उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। उलटा पिछले अढ़ाई वर्ष से उन्हें परेशान किया जा रहा है।
पिछले अढ़ाई वर्षों से बंद हैं स्टोन क्रशर
पीड़ित के.डी.एस. स्टोन क्रशर व हिमालय स्टोन क्रशर के अजय कुमार, न्यू जय शिवा स्टोन क्रशर के राम किशन, जय शिवा स्टोन क्रशर के नरेश कुमार ने बताया कि उनके क्रशर पिछले अढ़ाई वर्षों से मात्र इसलिए बंद पड़े हैं कि उनकी कोई भी राजनीतिक पहुंच नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमारे क्रशर अपनी वीरानी मालिकाना जमीन पर लगाए गए थे, जिन्हें एक साजिश के तहत पिछली सरकार के समय से ही बंद करवा दिया गया है। बड़े दुख की बात है कि रावी दरिया में रिवर वैड में 50 से ज्यादा क्रशर चल रहे हैं लेकिन उनकी किसी ने जांच नहीं की, जबकि उनकी ओर से क्रशर को नियमानुसार वीरानी जमीन में स्थापित किया गया था। अगर दरिया में क्रशर चल सकते हैं तो उनके क्रशर क्यों नहीं चल सकते, जो उन्होंने अपनी वीरानी जमीन में लगाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में प्रदूषण विभाग की ओर से एक नोटीफिकेशन निकाला गया था कि दरिया के 50 मीटर की सीमा के भीतर कोई क्रशर नहीं लगाया जा सकता।
2014 में तत्कालीन ए.डी.सी. की जांच रिपोर्ट में उनके 4 क्रशरों को दरिया के 50 मीटर के दायरे में पाया गया था, जिसके अनुसार उनके क्रशर को 2 वर्ष तक बंद करवाया जाना चाहिए था लेकिन प्रदूषण विभाग की ओर से 6 माह पहले ही उनके 4 क्रशर बंद कर दिए गए, जिसके बाद उन्होंने अपने क्रशरों को वहां से हटाकर कर नियमानुसार निर्धारित दूरी पर स्थापित कर दिए तथा हाईकोर्ट में इस जगह की पैमाइश करवाने के लिए अर्जी दाखिल की। इसके बाद बनाई गई अप्रेजल कमेटी की ओर से पैमाइश की बजाय उनकी वीरानी जमीन को रिवर वैड के रूप में दिखा दिया, जिसके कारण जनवरी-2015 से अब तक उनके क्रशर बंद हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले अढ़ाई वर्ष से उनका कारोबार ठप्प पड़ा है। बैंक लोन चुकाने के लिए उन्हें अपनी मशीनरी तक बेचनी पड़ी है। उनके परिवार इससे काफी परेशान हैं। वे इंसाफ के लिए शीघ्र ही विभाग के मंत्री राणा गुरजीत सिंह से मिलेंगे।
उन्होंने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाकर उनके साथ इंसाफ करने की मांग की है।इस संबंधी जांच टीम में शामिल माल विभाग के कानूनगो रमेश कुमार, ड्रेनेज विभाग के सहायक इंजी. अजय कुमार, कमल शर्मा ने बताया कि वे एस.डी.एम. पठानकोट के आदेशानुसार उक्त जमीन के मालिकाना स्टेटस की जांच के लिए आए थे, जबकि इन क्रशर मालिकों ने यह कहते हुए जांच नहीं करने दी कि पहले उन्हें इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई।