Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Aug, 2017 02:06 PM
मुख्यमंत्री शहर पटियाला के नगर निगम की आर्थिक हालत बद से बदतर हो गई है। आज 6 अगस्त हो गई है परंतु अभी तक किसी भी नगर निगम मुलाजिम को तनख्वाह नहीं मिली।
पटियाला (राजेश) : मुख्यमंत्री शहर पटियाला के नगर निगम की आर्थिक हालत बद से बदतर हो गई है। आज 6 अगस्त हो गई है परंतु अभी तक किसी भी नगर निगम मुलाजिम को तनख्वाह नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार नगर निगम के खजाने में सिर्फ 15 लाख रुपए की राशि है जबकि मुलाजिमों की एक महीने की तनख्वाह 4.50 करोड़ रुपए बनती है, ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर नगर निगम अपने मुलाजिमों को सैलरी कहां से देगा?
निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम की हर ब्रांच की आमदनी बहुत घट गई है। बिल्डिंग ब्रांच, वाटर सप्लाई और सीवरेज ब्रांच, एडवरटाइजमैंट, तहबाजारी समेत कोई भी ब्रांच अपना टारगेट पूरा नहीं कर रही है। मुलाजिम धरनों पर बैठे हैं जबकि निगम की आमदनी बढ़ाने की ओर किसी का ध्यान नहीं। मुख्यमंत्री का शहर और आने वाले समय में नगर निगम चुनाव होने के कारण निगम प्रशासन चाहते हुए भी लोगों पर शिकंजा नहीं कस सकता, जिसका खमियाजा भी निगम को भुगतना पड़ रहा है।
नगर निगम को मौजूदा समय समूची ब्रांचों से आमदनी सिर्फ 2.50 करोड़ रुपए प्रति महीना हो रही है जबकि निगम को 4.50 करोड़ रुपए हर महीने मुलाजिमों की तनख्वाह, 1.20 करोड़ रुपए बिजली का बिल अदा करना पड़ता है। इसके अलावा हैल्थ ब्रांच अधीन आते सैनीटेशन के काम के लिए और अफसरों की गाडिय़ों के लिए पैट्रोल और डीजल का खर्चा भी 50 लाख रुपए के करीब आता है।
खजाना खाली होने के कारण नगर निगम की तरफ से शहर निवासियों को मच्छरों से बचाने के लिए फॉङ्क्षगग भी नहीं की जा रही है। आमदन और खर्च का बड़ा गैप होने के कारण नगर निगम पहले ही अपने मुलाजिमों को हर महीने की 20 तारीख तक किस्तों में सैलरी देता है। एक हफ्ता इंजीनियरिंग ब्रांच को, एक हफ्ता कच्चे और आऊट सोॄसग कर्मचारियों और एक हफ्ते अन्य स्टाफ को सैलरी दी जाती है। अगस्त महीने में सैलरी देना निगम के लिए बेहद चिंता का विषय बन गया है क्योंकि 5 अगस्त तक निगम के खजाने में सिर्फ 15 लाख रुपए हैं। इस बार नगर निगम जहां मुलाजिमों को तनख्वाह देने में असमर्थ नजर आ रहा है, वहीं निगम द्वारा बिजली के बिल भी नहीं भरे जा सकेंगे, जिस कारण पंजाब राज्य बिजली निगम नगर निगम के कनैक्शन काट सकता है।
निगम को जी.एस.टी. की बड़ी मार
नगर निगम को हर महीने पंजाब सरकार से वैट के रूप में 2 करोड़ रुपए आते थे और अढ़ाई करोड़ रुपए नगर निगम की अपनी आमदनी हो जाती थी, जिस कारण नगर निगम अपने मुलाजिमों को वेतन देने के काबिल हो जाता था परंतु 30 जून को जी.एस.टी. लागू होने के बाद जुलाई महीने में नगर निगम के पास वैट की राशि नहीं पहुंची। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि नगर निगम को वैट मिलेगा या उसे जी.एस.टी. में से पैसा आया करेगा।
पंजाब सरकार की तरफ से चुंगी खत्म करने के बाद नगर निगमों की आमदन की भरपाई करने के लिए सरकार ने वैट का हिस्सा निगमों को देने का फैसला किया था परंतु अब जी.एस.टी. लागू होने के बाद वैट खत्म हो गया है, लिहाजा निगम को वैट की किस्तें मिलनी बंद हो गई हैं। यदि पटियाला के नगर निगम को वैट के रूप में मिलने वाली सहायता बंद हुई तो नगर निगम का समूचा कामकाज ठप्प हो जाएगा।
निगम स्टाफ का आमदनी बढ़ाने की तरफ नहीं कोई ध्यान
जब पंजाब सरकार नगर निगम के कर्मचारियों की बदली करने बारे आदेश जारी करती है तो मुलाजिम विरोध करना शुरू कर देते हैं कि सरकार के साथ उनका कोई संबंध नहीं। नगर निगम आटोनामस बाडी है, लिहाजा सरकार इसमें दखलअंदाजी नहीं कर सकती। निगम मुलाजिम कहते हैं कि नगर निगम अपनी खुद की आमदन करता है, लिहाजा सरकार निगम के स्टाफ की बदली नहीं कर सकती परंतु जब मुलाजिमों को वेतन नहीं मिलता तो वे धरने लगाने शुरू कर देते हैं और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हैं।
पिछले काफी समय से निगम की आमदनी की ओर कोई ध्यान नहीं। हर ब्रांच की आमदन कम हो रही है। मुलाजिम धरनों पर बैठे हैं, यदि समूचे कर्मचारी आमदन की तरफ ध्यान देने लग जाएं तो नगर निगम की आमदन काफी अधिक हो सकती है और नगर निगम को सरकार की तरफ देखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।