Edited By Updated: 18 Jan, 2017 11:02 AM
कैप्टन द्वारा एक परिवार में एक टिकट देने बारे लागू किया गया फार्मूला कई कांग्रेसियों पर भारी पड़ा है। वह अपने परिवार के एक और सदस्य को टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन या तो ऐसे नेताओं को अपनी टिकटें छोड़कर परिवार के मैंबरों को लड़ाना पड़ा या हसरत दिल...
जालंधरः कैप्टन द्वारा एक परिवार में एक टिकट देने बारे लागू किया गया फार्मूला कई कांग्रेसियों पर भारी पड़ा है। वह अपने परिवार के एक और सदस्य को टिकट दिलवाना चाहते थे लेकिन या तो ऐसे नेताओं को अपनी टिकटें छोड़कर परिवार के मैंबरों को लड़ाना पड़ा या हसरत दिल में ही रह गई।
हालांकि आखिरी चरण में पहुंचते-पहुंचते इस फार्मूले की हवा निकलनी शुरू हो गई है। कई नेता एक से ज्यादा टिकटें लेने में कामयाब हो गए हैं। इस दौर में एक रोचक पहलू यह भी होगा कि पहले अपने परिवार के कई मैंबरों को टिकट न देने वाले कैप्टन जब पटियाला के साथ लंबी से भी लड़े तो एक परिवार की जगह एक हाथ में 2 सीटें होंगी। इसी तरह रवनीत बिट्टू के भाई को पहले खन्ना से टिकट मिली हुई है। चौधरी संतोख सिंह व चौधरी जगजीत सिंह दोनों के बेटों को टिकट मिली चुकी है। दीपइंद्र ढिल्लों व कुशलदीप ढिल्लों दोनों भाई हैं। महिन्द्र के.पी. व अरुणा चौधरी भी चरणजीत चन्नी के करीबी रिश्तेदार हैं।
पहले भी एक साथ 2 सीटों पर चुनाव लड़ चुके हैं कैप्टन
कैप्टन ने इससे पहले 1992 में एक साथ 2 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से समाना सीट से वह बिना मुकाबला जीत गए और खरड़ से उनकी जमानत जब्त हो गई। अगर बात बादल की हो तो वह 1997 में लंबी के साथ किला रायपुर से भी लड़े थे और दोनों जगह जीत मिली थी। जिन्होंने बाद में किला रायपुर सीट छोड़ दी थी।जलालाबाद में लगातार 3 बार हार चुकी है कांग्रेसज लालाबाद में 1969 व 1980 में जीत मिली तो फिर 1992 में हंस राज जोसन विधायक बने। जो अगली बार शेर सिंह घुबाया से हारे तो 2002 में फिर जीते लेकिन 2007 के चुनाव में हारने के बाद 2009 के उप-चुनावों व 2012 के आम चुनावों में उनको लगातार 3 बार हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि अब घुबाया का बेटा कांग्रेस में शामिल होने के कारण उनकी मदद पार्टी को मिलेगी।