Edited By Updated: 25 Feb, 2017 04:52 AM
आलुओं की फसल की हो रही बेकदरी से किसान पहले ही परेशान
मोगा(ग्रोवर): आलुओं की फसल की हो रही बेकदरी से किसान पहले ही परेशान हैं और अब गेहूं पर हुए काले तेले के हमले ने किसानों को नई दुविधा में डाल दिया है। इस तरह की बनी स्थिति के चलते किसानों के चेहरों पर रौनकें खत्म हो गई हैं। भले ही कृषि विभाग का कहना है कि तेले का हमला ज्यादा नहीं है तथा किसान इतनी जल्दी कीटनाशकों का बहुत छिड़काव न करें लेकिन किसानों का कहना है कि फसल के पौधों तथा सरसों के पत्तों पर इसका हमला साफ दिखाई दे रहा है, इसलिए फसल को काले तेले के हमले से बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करना बेहद जरूरी है।
किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग फसलों पर किसी भी तरह के हमला होने से पहले जागरूक नहीं करता जिस कारण किसानों को अपने स्तर पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना पड़ता है। दूसरी तरफ किसानों ने अपनी फसल को काले तेले के हमले से बचाने के लिए देखा-देखी कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने की मुहिम तेज कर दी है ताकि गेहूं की फसल को इस हमले से बचाया जा सके।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस संबंध में हासिल की गई विशेष रिपोर्ट में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि काले तेले का हमला जिला मोगा के अंतर्गत पड़ते 4 विधानसभा हलकों के किसानों की फसलों पर एक जैसा ही दिखाई दे रहा है।
दिनों-दिन बढ़ रहे खर्चे किसानों को कर रहे कमजोर
गांव धूड़कोट कलां में कीटनाशकों का छिड़काव करवा रहे किसानों ने बताया कि पहले ही आलुओं की फसल के उचित दाम न मिलने के कारण किसानों को भारी नुक्सान का सामना करना पड़ रहा है तथा इस नई परेशानी ने तो किसानों को और भी झकझोर कर रख दिया है। उनका कहना है कि हर बार फसलों का झाड़ कम होने तथा भाव अधिक न बढऩे के कारण किसानी अब फायदेमंद धंधा नहीं रहा है तथा ऊपर से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए दिनों-दिन बढ़ रहे खर्चे किसानों को आॢथक पक्ष से और कमजोर कर रहे हैं। किसानों ने कृषि विभाग से मांग की कि विभाग गांव-गांव जाकर किसानों को फसलों पर होने वाली बीमारियों प्रति जागरूक करे ताकि किसान समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करके अपनी फसलों को बचा सकें।
बारिश न होने से तेले का हमला होता है अधिक
गांव बुट्टर कलां में गेहूं की फसल पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर रहे काला सिंह का कहना है कि गेहूं की फसल पर पिछले एक सप्ताह से पड़ी काले तेले की मार दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि अगर इन दिनों बारिश हो जाए तो गेहूं व सरसों के पत्तों से तेला नीचे गिर सकता है लेकिन जब कभी बारिश नहीं होती तो यह तेले का हमला अधिक हो जाता है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी बारिश की कोई संभावना न होने के कारण इस बीमारी का हमला और बढ़ सकता है।