कुत्तों की संख्या हजारों में, 3 महीनों में मात्र 212 कुत्ते रजिस्टर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Oct, 2017 01:05 PM

number of dogs in thousands  only 212 dog registers in 3 months

नगर निगम की ओर से कुत्तों की रजिस्ट्रेशन करने के लिए जारी अभियान की हवा निकल गई है।

अमृतसर(वड़ैच): नगर निगम की ओर से कुत्तों की रजिस्ट्रेशन करने के लिए जारी अभियान की हवा निकल गई है। निगम के हैल्थ विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से लोगों को नोटिस जारी करने के आदेश उपरांत भी हजारों लोग अपने पालतू कुत्तों की रजिस्ट्रेशन नहीं करवा रहे हैं। पूर्व मेयर बख्शी राम अरोड़ा ने सेहत अधिकारी डा. राजू चौहान और पशुओं के अस्पताल हाथी गेट के डाक्टरों की टीम सहित 7 जुलाई 2017 को कुत्तों की रजिस्ट्रेशन करवाने की शुरुआत की थी। कुत्तों के शौकीनों को 1 अप्रैल से 31 मार्च तक प्रतिवर्ष प्रति कुत्ता 500 रुपए जमा करवाने हैं।

 रजिस्ट्रेशन से इकठ्ठे हुए पैसों से वार्डों में घूम रहे हजारों कुत्तों की स्टरलाइजेशन की जानी थी, परन्तु निगम अधिकारियों की अनदेखी या जनता की उदासीनता के कारण मात्र 212 कुत्तों की ही रजिस्ट्रेशन हुई है। अधिकारियों के मुताबिक घरेलू कुत्तों को पंजीकृत न करवाने पर नोटिस भेजे जाएंगे। घरेलू कुत्तों को घरों से उठाया भी जा सकता है। 

कुत्तों की बढ़ती संख्या से जनता परेशान 
महानगर में कुत्तों की बढ़ती संख्या ने जनता के नाक में दम कर दिया है। 5 वर्ष से हाऊस की बैठकों में पार्षद आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए आवाजों को बुलंद कर रहे हैं, परन्तु किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। कुत्तों की स्टरलाइजेशन का काम भी फिलहाल ठंडे बस्ते में है। ‘न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी’ कहावत की तरह कुत्तों के ऑप्रेशन के लिए ना तो पैसे इकठ्ठा होंगे, ना ही आवारा कुत्तों को लगाम लगेगी।  

पहले भी मुहिम की निकली हवा 
पहले रहे कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल के प्रयासों से आवारा कुत्तों की स्टरलाइजेशन के लिए एस.पी.सी.ए. हाथी गेट में मुहिम शुरू की जाती रही, परन्तु कुत्तों के प्रेमियों की ओर से संदेश सांसद रही मेनका गांधी तक पहुंचने के बाद मुहिम को ब्रेक लगा दी गई, जिस दौरान यह कहा गया था कि कुत्तों के ऑप्रेशन दौरान कुत्तों की सही संभाल नहीं की जाती है। 

खूंखार कुत्ते कइयों को बना चुके हैं शिकार 
खूंखार कुत्तों द्वारा कई मासूमों और बुजुर्गों को काटने व जान से मारने के मामले हो चुके हैं, मरने वाले के घर लोग शोक व्यक्त कर आए, पर कानून से डरते कुत्तों को किसी ने कुछ नहीं कहा। लोग कुत्तों के काटने पर पागल कुत्ता होने के संदेह में अपना इलाज करवाते हैं। 
 

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