Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Aug, 2017 07:42 AM
अंडरग्राऊंड वाटर लैवल अत्यंत नीचे चले जाने के कारण पंजाब के अधिकांश शहरों के साथ-साथ जालंधर को भी डार्क जोन में डाल दिया गया है......
जालंधर (खुराना): अंडरग्राऊंड वाटर लैवल अत्यंत नीचे चले जाने के कारण पंजाब के अधिकांश शहरों के साथ-साथ जालंधर को भी डार्क जोन में डाल दिया गया है परन्तु अब राहत की बात यह दिख रही है कि आने वाले 2-3 सालों में जालंधर निवासियों की प्यास बुझाने के लिए ब्यास दरिया का पानी पीने को उपलब्ध हो सकेगा जिससे अंडरग्राऊंड वाटर पर निर्भरता कम हो जाएगी।
इस प्रोजैक्ट का सर्वे करने हेतु एशियन डिवैल्पमैंट बैंक के अधिकारी आज जालंधर पहुंचे जिन्होंने मेयर सुनील ज्योति, एडीशनल कमिश्नर जसबीर सिंह, एस.ई. लखविंद्र सिंह तथा नगर निगम के अन्य अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की और पूरे प्रोजैक्ट की रूपरेखा बनाने हेतु निगम से डाटा लिया। एशियन डिवैल्पमैंट बैंक की इस टीम में सीनियर अर्बन एन्वायरनमैंट इंजीनियर नील चैडर व अन्य अधिकारी शामिल हैं जो अभी कुछ दिन शहर में ही रहकर पूरा फीडबैक लेंगे। शहर पहुंची इस टीम ने आज जालंधर के अंडरग्राऊंड वाटर लैवल के साथ-साथ यहां लगे ट्यूबवैलों, सब-मर्सीबल पम्पों, ओवर हैड टंकियों और ट्रीटमैंट प्लांटों इत्यादि की पूरी जानकारी एकत्रित की। गौरतलब है कि इस प्रोजैक्ट तहत ब्यास दरिया का पानी पाइपलाइनों इत्यादि के माध्यम से जालंधर शहर तक लाया जाएगा जहां इसे प्योरीफाई करके पीने योग्य बनाया जाएगा।
6 माह में पूरी होगी कंसल्टैंसी
इस प्रोजैक्ट को शुरू करने के लिए शहर मेें पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि सर्वे और कंसल्टैंसी में 6 माह का समय लगेगा। प्रोजैक्ट पूरा करने में डेढ़-दो साल लग सकते हैं। नगर निगम द्वारा इस प्रोजैक्ट को पार्षद हाऊस की अगली बैठक में प्रस्ताव के रूप में लाया जा रहा है परन्तु देखने वाली बात होगी कि जालंधर से संबंधित कांग्रेसी विधायक और कांग्रेसी पार्षद इस प्रोजैक्ट को किस रूप में लेते हैं। इस प्रोजैक्ट की सफलता भी कांग्रेसियों के रुख पर निर्भर करेगी।
मालवा में चल रहे हैं ऐसे प्लांट
दोआबा और माझा में तो कैनाल वाटर यूज प्रोजैक्ट पहली बार जालंधर में शुरू होने जा रहा है परन्तु मालवा में ऐसे प्लांट पहले से चल रहे हैं। कोटकपूरा, भटिंडा व अन्य कई शहरों के लोग अंडरग्राऊंड वाटर की बजाय नदियों/नहरों का पानी ही ट्रीट करके पी रहे हैं। ज्यादातर विदेशी शहरों में भी इस टैक्नोलॉजी को भरपूर आजमाया जा रहा है।
मियाणी या ढिलवां से लाया जाएगा ब्यास का पानी
दरअसल ब्यास दरिया जालंधर के निकट से गुजरता है परन्तु इस प्रोजैक्ट के लिए ढिलवां या दसूहा में पड़ते मियाणी क्षेत्र से गुजरते इस दरिया को सही आंका जा रहा है। ढिलवां से ब्यास दरिया का पानी जालंधर तक लाने हेतु 40 किलोमीटर जबकि मियाणी से 60 किलोमीटर तक का रास्ता बनाना होगा जिसके तहत वाटर पाइपलाइन बिछाई जाएगी। इसके लिए वाटर ट्रीटमैंट प्लांट लगाने होंगे, बड़े टैंक तथा ओवर हैड इत्यादि का निर्माण करके कई तरह के फिल्टर प्रयोग करने होंगे ताकि दरिया के पानी को पीने योग्य बनाया जा सके।
2,000 करोड़ रुपए होंगे खर्च
इस प्रोजैक्ट को कैनाल वाटर यूज प्रोजैक्ट का नाम दिया गया है। इस पर करीब 2,000 करोड़ रुपए की राशि खर्च होने का अनुमान है। यह राशि एशियन डिवैल्पमैंट बैंक द्वारा अपनी विशेष स्कीम के तहत सॉफ्ट लोन के रूप में दी जाएगी जिस पर ब्याज अत्यंत कम लिया जाएगा।
800 करोड़ का स्टॉर्म वाटर सीवर भी प्राथमिकता
नगर निगम के लिए जहां अंडरग्राऊंड वाटर की संभाल एक बड़ी चुनौती है वहीं बरसात के दिनों में शहर जिस तरह के जलभराव का सामना करता है उसके लिए नगर निगम अधिकारी इन दिनों स्टॉर्म वाटर सीवर प्रोजैक्ट पर भी काम कर रहे हैं जिस पर करीब 800 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। यह राशि भी एशियन डिवैल्पमैंट बैंक से प्राप्त की जाएगी। इसके तहत शहर में 250 किलोमीटर लम्बी स्टॉर्म वाटर सीवर लाइन बिछाई जाएगी, जिससे सारा पानी सतलुज दरिया में जाएगा।