Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 11:35 AM
जिले की अलग-अलग बीड़ों से जानवर निकलकर खेतों का नुक्सान नहीं करेंगे क्योंकि वन विभाग ने बीड़ों पर तारबंदी करवाने का काम फिर से शुरू कर दिया है। हालांकि यह नई सरकार आने के बाद शुरू हो गया था जोकि पिछली सरकार में बंद हो गया था। इसकी वजह से जंगली...
पटियाला(प्रतिभा): जिले की अलग-अलग बीड़ों से जानवर निकलकर खेतों का नुक्सान नहीं करेंगे क्योंकि वन विभाग ने बीड़ों पर तारबंदी करवाने का काम फिर से शुरू कर दिया है। हालांकि यह नई सरकार आने के बाद शुरू हो गया था जोकि पिछली सरकार में बंद हो गया था। इसकी वजह से जंगली जानवरों और पशुओं ने लोगों के खेतों में जाकर उनकी फसलों का नुक्सान भी किया। ऐसे में बार-बार यह डिमांड शुरू हो गई कि बीड़ों की तारबंदी की जाए।
इसके चलते मोती बाग बीड़ की तारबंदी करवानी शुरू कर दी थी जोकि लगभग पूरी हो गई पर बाकी की जो बीड़ थीं, उनकी तारबंदी का काम बीच में ही रह गया। वहीं इसकी वजह बजट की कमी का होना बताया गया लेकिन अब अथारिटी का कहना है कि बजट की कमी कभी नहीं हुई। औपचारिकताएं पूरी करने में थोड़ा समय लग जाता है, इसलिए काम की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई।
वहीं बीड़ों पर तारबंदी का काम चल रहा है। अब नील गाय, जंगली सूअर और सांभर से किसानों की फसलों को नुक्सान नहीं होगा। इसमें जिले की भादसों बीड़, भुनरहेड़ी बीड़, मोती बाग बीड़, गुरदयालपुरा बीड़ और दोसांझ बीड़ में तारबंदी का काम शुरू करवा दिया गया है। मोती बाग बीड़ में तारबंदी का काम हुआ था जोकि बीच में रुक गया था। उसे फिर से शुरू करते हुए पूरा भी किया गया लेकिन कहीं-कहीं से तारबंदी टूट गई थी। उसे भी ठीक किया गया। अब बाकी बीड़ों पर तारबंदी का काम चल रहा है।
वहीं इस मामले में डी.एफ.ओ. अजीत कुलकर्णी ने कहा कि फंड की कमी की वजह से काम नहीं रुका बल्कि कुछ औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं, उसमें समय लग जाता है। बीड़ में तारबंदी का काम चल रहा है और इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। कई बार कार्पोरेशन की जमीन भी साथ लगती है तो उनसे भी मंजूरी लेनी होती है कि तारबंदी कर दी जाए। इसी तरह की औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगता है।
नई सरकार के समय में पटियाला समेत राज्य की अन्य बीड़ों पर तारबंदी का काम शुरू किया गया था। किसानों की फसलों के बचाव के लिए जंगली क्षेत्रों में 57.38 किलोमीटर लंबी तारबंदी का फैसला किया गया था। इस पर खर्च 12.87 लाख रुपए आना है। इस बारे में खुद विभाग के मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा था कि राज्य में नील गाय, जंगली सूअर और सांभर की आबादी में विस्तार हुआ है और इस वजह से पटियाला जिले में ज्यादा समस्या आई क्योंकि यहां 6 बीड़ें हैं और इसी वजह से तारबंदी का काम फिर से शुरू करवा दिया गया है।