Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 11:43 AM
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए लुधियाना कोर्ट में कार्यरत एक ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया है।
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए लुधियाना कोर्ट में कार्यरत एक ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया है। पंजाब पुलिस के एक हैड कांस्टेबल ने मैजिस्ट्रेट की उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का हवाला देते हुए याची पक्ष ने कहा कि एक ही व्यक्ति अपने ही मामले में शिकायतकत्र्ता, गवाह और जज नहीं हो सकता। ऐसे में संबंधित शिकायत व उसके आधार पर आगे चलाई गई कार्रवाई रद्द होनी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होगी।
याची पुलिसकर्मी ने मामले में उन आदेशों को भी रद्द करने की मांग की है जिनमें उसे भगौड़ा घोषित किया था। हाईकोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट के आदेशों पर कार्रवाई के संबंध में स्टे लगा दिया है। पंजाब पुलिस के हैड कांस्टेबल सुरिंद्र कुमार द्वारा पंजाब सरकार व अन्यों को पार्टी बनाते हुए यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है।
याची हैड कांस्टेबल को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट के रूप में ज्यूडीशियल ऑफिसर के समक्ष सरकारी ड्यूटी के निर्वहन के संबंध में आरोपी बनाया गया। याची के काऊंसिल ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि संबंधित ज्यूडीशियल ऑफिसर ने याची व पुलिस विभाग के खिलाफ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया। याची के वकील ने कहा कि इस दौरान याची पूरी तरह शांत बना रहा और मैजिस्टे्रट के साथ किसी प्रकार का दुव्र्यवहार नहीं किया।
वहीं बिना किसी औचित्य के मैजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए आदेश जारी कर दिए कि याची ने उनके साथ दुव्र्यवहार किया। ऐसे में हैड कांस्टेबल के खिलाफ आई.पी.सी. की धारा 228 के तहत कार्रवाई बनती थी। संबंधित धारा न्यायिक प्रक्रिया में पब्लिक सर्वैंट के साथ जानबूझकर अपमान करने या रुकावट पैदा करने से जुड़ी है। ऐसे में मामला मैजिस्ट्रेट ने अपने पास रख लिया था और हैड कांस्टेबल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए जिसके बाद उसे 1 दिसम्बर, 2017 को भगौड़ा घोषित किया है।
वहीं याची पक्ष की ओर से दावा किया गया कि उसके खिलाफ जो प्रक्रिया शुरू की गई वह गलत तथ्यों पर आधारित थी। वहीं कहा गया कि जिस प्रकार मैजिस्ट्रेट ने कंप्लेंट केस को अपने पास रख याची को भगौड़ा घोषित किया वह एकतरफा कार्रवाई प्रतीत होती है।