Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 01:27 PM
नोटबंदी के बाद से नकदी की बनी किल्लत व उसके पश्चात जी.एस.टी. लागू होने की पड़ी दोहरी मार ने यूं तो हर वर्ग को खून के आंसू रुलाए। ऐसे में क्यास लगाया जा रहा था कि दीपावली पर इस बार जुएबाजी के शौकीनों के हाथ ताश के पत्तों पर तंगी के साथ खुलेंगे परंतु...
पठानकोट (शारदा): नोटबंदी के बाद से नकदी की बनी किल्लत व उसके पश्चात जी.एस.टी. लागू होने की पड़ी दोहरी मार ने यूं तो हर वर्ग को खून के आंसू रुलाए। ऐसे में क्यास लगाया जा रहा था कि दीपावली पर इस बार जुएबाजी के शौकीनों के हाथ ताश के पत्तों पर तंगी के साथ खुलेंगे परंतु अप्रत्याशित रूप से नोटबंदी व जी.एस.टी. का जुएबाजी पर रत्ती भर भी असर देखने को नहीं मिला तथा जुआ खेलने के शौकीनों ने ताश के पत्तों पर खुलकर हाथ दिखाए।
नगर के कोने-कोने में कई रंगों में खेला गया जुआ
दीपावली की आमद की दस्तक होते ही जुएबाज अपने-अपने घरों से निकलकर जुंडली बनाकर ताश के पत्तों पर हाथ खोलते हुए किस्मत आजमाने लग जाते हैं। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिला। नगर के कोने-कोने में जुएबाजी की आहट सुनाई दी। संकीर्ण गलियों में तो शौकीन चौराहों व गलियों में ही ताश के पत्तों के साथ कहीं दाना पॉवर, कहीं मांग पत्ता तो कहीं फ्लैश में अपने-अपने जौहर दिखाते नजर आए।
कइयों के हाथ जीत की बाजी लगी तो कई किस्मत से हारते भी दिखे। स्लम बस्तियों में भी स्थान निश्चित करके जुए के शौकीन दिन-रात ताश के पत्तों से उलझते व भाग्य आजमाते दिखे। दूसरी ओर नामचीन लोग जो कि पकड़े जाने के डर से खुले में जुआ खेलने से परहेज करते हैं, ने सेफ जगह सुनिश्चित करके जुएबाजी की अपनी ललक व हाथ की खुजली मिटाई।
मोबाइल पर लुड्डो गेम पर यूथ ब्रिगेड ने दिखाए हाथ
वहीं यूथ ब्रिगेड जो कि इन दिनों मोबाइल व इंटरनैट से अधिक जुड़ी रहती है, ने इन दिनों मोबाइल पर लोकप्रिय हो रही व परिचलन में आई लुड्डो गेम पर अपनी व्यस्तता व खुली सक्रियता दिखाई। चूंकि यह मोबाइल गेम है ऐसे में पुलिस द्वारा पकड़े जाने की संभावना भी कम रहती है। वहीं गेम चार्ट भी मैन्युल की तुलना में शीघ्र पार होता है। यानी हार-जीत का फैसला घंटों की जगह मिनटों में हो जाता है। ऐसे में मोबाइल पर लुड्डो गेम की दीपावली व आस-पास खूब तूती बोली।
चुनावों में पुलिस की सक्रियता के चलते जुएबाज रहे बेपरवाह
वहीं दीपावली से ऐन पहले उप-चुनाव आ जाने से पुलिस तंत्र पहले चुनाव करवाने फिर मतगणना के चलते चुनाव प्रक्रिया में व्यस्त रहा। ऐसे में जुएबाज पुलिस से बेपरवाह नजर आए तथा उन्होंने बेखौफ अपनी किस्मत को जुए में आजमाने पर खूब मेहनत की तथा जुएबाजी का क्रम सुबह का उजाला होते ही रात्रि के तीसरे पहर तक चला। जुएबाजी के मामले में भी पुलिस के हाथ इस बार खाली नजर आए।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी?
वहीं डी.एस.पी. सीतल सिंह ने कहा कि जुएबाजी के मामले में पुलिस की कार्रवाई सूचना पर आधारित होती है तभी चिन्हित एवं सूचित स्थल पर पुलिस कार्रवाई करने की स्थिति में होती है। इसलिए इस बार एक भी मामला खुले रूप से जुएबाजी का सामने नहीं आ सका तथा न ही इस में लिप्त कोई तत्व पुलिस की गिरफ्त में आ सका। इसके बावजूद पुलिस पूरी तरह चौकस रही।