Edited By Updated: 05 Dec, 2016 12:29 PM
नोटबंदी के फैसले के दूसरे माह में ही ङ्क्षचता का माहौल बना हुआ है। नोटबंदी के बाद पिछले माह का ज्यादातर भुगतान 7 तारीख तक
लुधियाना (बहल): नोटबंदी के फैसले के दूसरे माह में ही ङ्क्षचता का माहौल बना हुआ है। नोटबंदी के बाद पिछले माह का ज्यादातर भुगतान 7 तारीख तक नकदी में हो चुका था लेकिन इंडस्ट्री को अब नवम्बर माह की तनख्वाह श्रमिकों को 7 से 10 तारीख तक कानूनन देनी अनिवार्य है, जिस कारण ज्यादातर उद्यमी अपने श्रमिकों को रोजगार से निकालने का मन बनाने लगे हैं।
पहले ही लगभग 1 लाख से ऊपर श्रमिक औद्योगिक शहर लुधियाना से पलायन कर चुके हैं और इसके साथ ही कारोबार बंद होने के कारण 4 से 5 लाख नौकरियों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। बैंकों से नकदी न निकल पाने के कारण ज्यादातर उद्योगपति अपने श्रमिकों को तनख्वाह देने में असमर्थ हैं। इस सारे घटनाक्रम के बीच केन्द्र सरकार ने यह निर्देश भी जारी किए हैं कि सभी उद्योग अपने कर्मचारियों को वेतन बैंकों के द्वारा ही दें। इसके लिए उन्हें अपने श्रमिकों के बैंक अकाऊंट खोलने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस संबंध में श्रम मंत्रालय ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है और अपने कानून में बदलाव के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
15 दिन के भीतर लोगों को इस बदलाव पर अपनी आपत्तियां दर्ज करने का समय दिया है। इस संबंध में उद्योग संगठन फोपसिया ने विरोध करते हुए कहा है कि सरकार की उद्योगों को बंद करने की रणनीति है, क्योंकि 80 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में इसे लागू कर पाना नामुमकिन है। अध्यक्ष बदीश जिंदल ने कहा कि बैंक 20 प्रतिशत कर्मचारियों को भी नकदी का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में लघु उद्योग क्षेत्र में काम कर रहे 10 करोड़ कर्मचारियों को बैंक कभी भी नकद भुगतान नहीं कर पाएंगे। सरकार के इस फैसले से देश में करोड़ों बेरोजगार हो जाएंगे इसलिए श्रम मंत्रालय को इस फैसले को लागू नहीं करना चाहिए।