Edited By Updated: 02 Dec, 2016 04:34 PM
नोटबंदी का प्रहार अपना असर बुजुर्गों के सम्मान पर भी दिखाएगा, यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। जी हां यह सत्य है कि नोटबंदी से बुढ़ापा
तलवाड़ा(डी.सी.): नोटबंदी का प्रहार अपना असर बुजुर्गों के सम्मान पर भी दिखाएगा, यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। जी हां यह सत्य है कि नोटबंदी से बुढ़ापा पैंशन स्कीम पर भी नोट का संकट आ खड़ा हुआ है। पंजाब सरकार द्वारा बुजुर्गों को उनके सम्मान में दी जाने वाली बुढ़ापा पैंशन की राशि कुछ बैंकों में आ पहुंची है लेकिन आर.बी.आई. की गाइडलाइनों की मार ऐसी कि वह राशि बैंक से लाभपात्र के हाथों बीच की लाइन से फिसलती नजर आ रही है।
क्या हैं हालात
ग्रामीण क्षेत्रों के बुजुर्गों को पंचायतों के माध्यम से बुढ़ापा आदि पैंशन दी जाती है। ग्राम पंचायतों के बैंक खाते ज्यादातर सहकारी बैंकों से संबंधित हैं। बैंकों में पैंशन की 2 महीने की राशि पहुंच चुकी है। पंचायतों के सरपंच प्रत्येक रोज दौड़े दौड़े बैंकों में पैंशन राशि लेने हेतु पहुंच रहे हैं लेकिन वे बैरंग लौट कर इसलिए वापस आ रहे हैं क्योंकि उन्हें वहां या तो रटा-रटाया जवाब यह मिलता है कि कैश की कमी है या फिर आर.बी.आई. को हिदायतों मुताबिक सप्ताह में 24 हजार से ज्यादा राशि नहीं दे सकते। पंचायतों में प्रत्येक गांव की पैंशन राशि प्रत्येक माह हेतु एक लाख रुपए के आसपास बनती है। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि आर.बी.आई. ने देश भर के सहकारी बैंकों हेतु 21 हजार करोड़ की राशि रिलीज की है। यह राशि अभी अपर्याप्त बताई जाती है। वैसे भी राशि तमाम बैंकों तक पहुंचाने में अभी कुछ दिन का समय और लेगी।
कैसी है बुजुर्गों की दशा
बुजुर्गों को जब से पता चला है कि बैंकों से पंचायतों को आई पैंशन राशि रिलीज नहीं हो रही। वह अपनों में ज्यादा टैंशन लेने लगे हैं। बुजुर्गों की पैंशन बिन बनी टैंशन के हालात देखे नहीं जा रहे हैं। कुछ वृद्ध महिला व पुरुषों ने बताया कि नोटबंदी से कालाधन खत्म होगा या नहीं होगा तथा देश कब तरक्की करेगा या यूं ही खड़ा रहेगा, यह तो मोदी साहिब ही जाने। फिलहाल नोटबंदी ने हमारी पैंशन को बंधक बनाकर जिंदगी का गला सा घोंट दिया है। गरीब वृद्ध महिलाओं अनुसार वे पैंशन राशि परिवार के पालन-पोषण में प्रयोग करती हैं। एक वृद्ध पुरुष ने बताया कि वह पैंशन की राशि प्रत्येक माह अपने लिए दवाइयां आदि खरीदने में प्रयोग करता है।