बठिंडा थर्मल प्लांट को बंद करने के सरकारी फैसले पर पुनर्विचार नहीं: अमरेन्द्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 01:50 AM

no reconsideration decision on closure of bathinda thermal plant

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा को बंद करने के पंजाब सरकार के फैसले को बदलने की किसी भी संभावना को पूरी तरह से रद्द करते हुए कहा है कि सरकार ने थर्मल प्लांट की मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए...

जालंधर(धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने गुरु नानक देव थर्मल प्लांट बठिंडा को बंद करने के पंजाब सरकार के फैसले को बदलने की किसी भी संभावना को पूरी तरह से रद्द करते हुए कहा है कि सरकार ने थर्मल प्लांट की मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उक्त फैसला लिया था। मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने नहीं जा रही है। 

उन्होंने कहा कि राज्य में बिजली की मांग में आई कमी के चलते बठिंडा थर्मल प्लांट तथा रोपड़ थर्मल प्लांट के 2 यूनिटों को सरकार ने बंद करने का निर्णय लिया था। सरकार को वैसे भी अन्य वैकल्पिक स्रोत्रों से सस्ती बिजली मिल रही है। थर्मल प्लांटों में काम कर रहे किसी भी कर्मचारी की नौकरी नहीं जाएगी तथा सभी वर्करों को क्षेत्र में ही समायोजित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को अपने अंदर नौकरी जाने के किसी भय को पनपने नहीं देना चाहिए क्योंकि सरकार उनके साथ है। बठिंडा थर्मल प्लांट को पूरी तरह से बंद कर देने के बाद सरप्लस कर्मचारियों को उन स्थानों पर भेजा जाएगा जहां पर कर्मचारियों की कमी चल रही है। इससे उत्पादकता में बढ़ौतरी होगी तथा बिजली उत्पादन बढ़ाने व बिजली लागत को कम करने में मदद मिलेगी। 

पावर कार्पोरेशन को बठिंडा थर्मल प्लांट से महंगी बिजली उपलब्ध हो रही थी जिस कारण उसे बंद करना पड़ा। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि किसी भी कर्मचारी चाहे वह रैगुलर हो या ठेके पर काम कर रहा हो, को नौकरी से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। इन कर्मचारियों को निकटवर्ती स्थानों पर ही लगा दिया जाएगा तथा उनके पूरे वेतन की सुरक्षा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने राज्य में बिजली की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि धान की बुआई तथा अन्य समय में बिजली की मांग बढ़ती व घटती रहती है। इस वर्ष गर्मियों में अधिकतम बिजली की मांग 11600 मैगावाट रही जबकि सर्दियों के महीने में बिजली की मांग कम होकर 5600 मैगावाट पर आ गई। सॢदयों में दिन व रात के समय बिजली की मांग में भारी अंतर देखा गया तथा एक समय तो बिजली की मांग 3000 मैगावाट रह गई। 

पंजाब चूंकि बिजली सरप्लस राज्य है इसलिए धान से संबंधित 4 महीनों में बिजली उत्पादन की पूरी क्षमता का प्रयोग किया जाता है जबकि शेष 8 महीनों में बिजली की मांग सामान्य रहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2009-10 से लेकर 2016-17 तक पिछले 7 वर्षों में पंजाब में स्थापित बिजली क्षमता 6900 मैगावाट से बढ़ कर 14000 मैगावाट तक पहुंच गई जबकि राज्य में बिजली की वार्षिक बिक्री मात्र 39 प्रतिशत बढ़ी। यह 32000 मिलियन यूनिट्स से बढ़ कर 44400 मिलियन यूनिट तक पहुंची। इसी अवधि के दौरान घरेलू व कमशिर्यल बिक्री में 86 प्रतिशत जबकि औद्योगिक बिक्री में 27 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई। उन्होंने कहा कि बङ्क्षठडा के थर्मल प्लांट पुरानी तकनीक से बना हुआ था तथा वहां पर बिजली उत्पादन की लागत भी ज्यादा थी। बठिंडा थर्मल प्लांट में बिजली उत्पादन लागत 9.31 रुपए प्रति यूनिट पड़ रही थी जबकि बाजार में सस्ती बिजली उपलब्ध है।

रोपड़ थर्मल प्लांट के 3 यूनिटों बारे फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी
उन्होंने बताया कि रोपड़ थर्मल प्लांट के 800-800 मैगावाट के 3 यूनिटों के बारे में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी मैसर्स स्टीग एनर्जी इंडिया प्रा.लि., नोएडा को सौंपी गई है। 

सौर व वायु ऊर्जा अब 3 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्ध
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि सौर ऊर्जा की लागत पहले 18 रुपए प्रति यूनिट पड़ती है जो अब कम होकर 3 रुपए प्रति यूनिट पर आ गई है। इसी तरह से वायु ऊर्जा की लागत भी 3 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्ध है। पंजाब पावर कार्पोरेशन ने तो भारत सरकार के साथ 150 मैगावाट वायु ऊर्जा 2.75 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से लेने को लेकर समझौता भी किया है।

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