Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 10:21 AM
एक तरफ जहां विकास के नाम पर हाईवे पर पिछले 3 साल के भीतर 60,000 से ज्यादा पेड़ काट कर हरियाली को सूखे की बलि चढ़ा दिया गया, वहीं प्लांटेशन पॉलिसी के नाम पर एक भी पंचायत ने अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
जालंधर (रविंदर शर्मा) : एक तरफ जहां विकास के नाम पर हाईवे पर पिछले 3 साल के भीतर 60,000 से ज्यादा पेड़ काट कर हरियाली को सूखे की बलि चढ़ा दिया गया, वहीं प्लांटेशन पॉलिसी के नाम पर एक भी पंचायत ने अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
कुल मिलाकर हरियाली संभाल योजना की पंचायतों ने पूरी तरह से धज्जियां उड़ाईं। यही कारण है कि लगातार प्रदेश का ग्राऊंड वाटर लैवल तो नीचे जा ही रहा है, साथ ही प्रदेश की जनता को ऑक्सीजन की उचित मात्रा भी नहीं मिल पा रही और प्रदेश के नागरिक लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
ग्राऊंड वाटर लैवल दुरुस्त करने व पर्यावरण संभाल के लिए ग्रो ग्रीन यानी पंजाब ग्राम पंचायत प्लांटेशन ऑफ ट्री पॉलिसी की 13 फरवरी 2017 को शुरूआत की गई थी। इस पॉलिसी को सिरे चढ़ाने की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग की थी, मगर हैरानी की बात तो यह है कि विभाग के अधिकारी पंचायतों को जागरूक तक नहीं कर पाए। पंचायतों की उपजाऊ जमीन पर पेड़ लगाए जाने थे ताकि हरियाली यानी पर्यावरण संभाल की तरफ कदम बढ़ाए जा सकें।
3 हाईवेज से कटे 60,000 पेड़, लगा एक भी नहीं
गौर हो कि पर्यावरण संभाल के लिए कानून बनाया गया है कि अगर विकास के नाम पर एक पेड़ काटा गया तो उसके बदले में विभाग को 10 पेड़ लगाने होंगे मगर पिछले 3 सालों में विकास के नाम पर मात्र 3 हाईवेज से ही 60,000 के करीब पेड़ काट दिए गए, मगर एक भी नया पेड़ नहीं लगाया गया।
इसका नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी कड़ा संज्ञान लिया था और कई हाईवे बनाने पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि जब तक नए पेड़ नहीं लगाए जाते, तब तक बाकी पेड़ काटने की इजाजत नहीं होगी। प्रदेश के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल कहते हैं कि अगर पंचायती विभाग व पंचायतें गंभीर होतीं तो अभी तक इस स्कीम के तहत 50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते थे और पर्यावरण संभाल में पंचायतें अपना अच्छा रोल निभा सकती थीं। सरकार पर्यावरण व हरियाली को लेकर बेहद ङ्क्षचतित है और इस योजना को सिरे न चढ़ाने वाले कई अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है।