Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 03:54 AM
आगजनी की घटना के बाद मलबे के ढेर में तबदील हो चुकी सूफिया चौक के पास स्थित 6 मंजिला बिल्डिंग का कोई नक्शा नगर निगम के रिकार्ड में मौजूद नहीं है। यह खुलासा मौके पर पहुंची सेना व एन.डी.आर.एफ. की टीमों को बचाव कार्यों के लिए दिक्कत आने के बाद हुआ। जब...
लुधियाना(हितेश): आगजनी की घटना के बाद मलबे के ढेर में तबदील हो चुकी सूफिया चौक के पास स्थित 6 मंजिला बिल्डिंग का कोई नक्शा नगर निगम के रिकार्ड में मौजूद नहीं है। यह खुलासा मौके पर पहुंची सेना व एन.डी.आर.एफ. की टीमों को बचाव कार्यों के लिए दिक्कत आने के बाद हुआ।
जब इन टीमों ने मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने का काम शुरू करने के लिए अंदरूनी नक्शा मांगा तो मालिक मौके पर मौजूद नहीं थे। टीमों के मुताबिक नक्शा इसलिए मांगा गया ताकि यह अनुमान लगाया जा सके कि किस जगह लोग फंसे हैं और वहां से पिल्लर आदि खिसकने पर कहीं ज्यादा नुक्सान न हो जाए। इसके लिए नगर निगम की मदद मांगी गई तो मौके पर मौजूद जोन बी. के ए.टी.पी. हरविन्द्र सिंह ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग काफी पुरानी बनी हुई है। इसका रिकार्ड में नक्शा मौजूद नहीं है।
1997 से पहले लागू नहीं थे बायलाज
निगम अफसरों की मानें तो बिल्डिंग 20 साल से भी ज्यादा पुरानी यानी कि 1997 से पहले की बनी है। उस समय बिल्डिंग बायलाज लागू नहीं थे, जिसमें बिल्डिंग की कवरेज व पार्किंग के लिए छोड़ी जाने वाली जगह तय की गई है।
स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टीफिकेट
जहां तक बिल्डिंग के मजबूत होने बारे स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टीफिकेट लेने का सवाल है, वह नक्शा पास करवाने से पहले लिया जाता है। इसमें आर्कीटैक्ट द्वारा प्रस्तावित प्लान के स्ट्रक्चर की मजबूती वाला डिजाइन बनाने की गारंटी दी जाती है लेकिन बाद में यह चैकिंग करने का कोई प्रावधान नहीं है कि बिल्डिंग का स्ट्रक्चर डिजाइन उस पर पडऩे वाला लोड उठाने के काबिल है या नहीं।
एक्ट में नहीं चैकिंग का प्रावधान
अगर इस बिल्डिंग को दो दशक से भी पुराना बताया जा रहा है तो यह भी सवाल पैदा होता है कि क्या उसकी मजबूती को लेकर संबंधित विभाग द्वारा कभी कोई चैकिंग की गई। इसे लेकर जोन बी. के ए.टी.पी. का कहना है कि नक्शा पास होने पर बिल्डिंग बनने के बाद उसकी रैगुलर चैकिंग करने का प्रावधान एक्ट में नहीं है।
कम्प्लीशन प्लान न लेने का रिवाज भी है गलत
निगम द्वारा जब भी किसी बिल्डिंग का नक्शा पास किया जाता है तो फायर सेफ्टी प्रबंधों के लिए प्रोवीजनल एन.ओ.सी. ली जाती है, जिसका मतलब यही होता है कि प्रस्तावित प्लान में फायर सेफ्टी के प्रबंध किए जाएंगे लेकिन बाद में कोई चैकिंग नहीं होती कि मौके पर फायर सेफ्टी के कोई प्रबंध थे भी या नहीं। इसकी बड़ी वजह कम्प्लीशन प्लान नहीं लेने का रिवाज भी है क्योंकि अगर कम्प्लीशन सर्टीफिकेट अप्लाई किया जाएगा तो ही पता चलेगा कि मौके पर फायर सेफ्टी प्रबंध कर लिए गए हैं । लेकिन यहां अधिकतर बिल्डिंगें तो नक्शा पास करवाए बिना ही बनती हैं। जिन पर कम्प्लीशन सर्टीफिकेट लेने का नियम ही लागू नहीं होता और जो नक्शा पास करवाकर बनती हैं, उनके पूरा होने के बाद निगम द्वारा फायर सेफ्टी प्रबंधों की कोई चैकिंग नहीं की जाती।
रिहायशी इलाके में किसकी परमिशन से बनी बिल्डिंग?
कुछ वर्ष पहले बनी बिल्डिंग सोमवार को कई लोगों की जान की दुश्मन बन गई। बिल्डिंग के पीछे लगते मोहल्ला मुश्ताकगंज के रहने वाले निर्मल सिंह, जगरूप सिंह, गुरदेव सिंह ने बताया कि वे लोग वर्ष 1947 के बाद से यहां रह रहे हैं। कुछ वर्ष पहले ही फैक्टरी मालिक की तरफ से इतनी बड़ी इमारत खड़ी की गई। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि रिहायशी इलाके में किसकी परमिशन से बिल्डिंग बनी थी, जो आज बर्बादी का गवाह बन गई।
4 माह पहले ही हुआ था अमृतसर से लुधियाना तबादला फायर सब-आफिसर गिल का
लुधियाना बिल्डिंग हादसे में नगर निगम फायर ब्रिगेड लुधियाना में तैनात फायर सब-आफिसर समॉन गिल निवासी अमृतसर रामतीर्थ रोड की अपनी सेवाएं देते हुए मृत्यु हो गई। घटना की खबर मिलते ही गिल का सारा परिवार लुधियाना की ओर निकल पड़ा। गिल अपने पीछे पत्नी वीनस गिल, बेटा साहिल गिल जो नगर निगम फायर ब्रिगेड अमृतसर में कांट्रैक्ट बेस पर फायर मैन के तौर पर कार्य कर रहा है, बेटी शहनाज गिल बी.एससी. नॄसग कर रही है को छोड़ गए।
उनके बेटे साहिल ने फोन पर बात करते बताया कि उन्हें फायर ब्रिगेड लुधियाना से दोपहर 1.30 बजे फोन आया कि उनके पिता बिल्डिंग हादसे में घायल हो गए हैं, आप तुरंत लुधियाना आ जाएं, जिस पर सारा परिवार उसी समय लुधियाना की ओर निकल गया। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। 4 माह पहले ही उनके पिता का तबादला लुधियाना में हुआ था। रामतीर्थ रोड स्थित लाभ नगर में उनके पड़ोसियों ने बताया कि गिल एक मिलनसार व्यक्ति थे और हमेशा लोगों से प्रसन्नचित होकर मिलते थे।
भावाधस के लक्ष्मण द्रविड़ से फोन पर बात
आगजनी के बाद घटनास्थल पर पहुंचे भावाधस के नेता लक्ष्मण द्रविड़ बिल्डिंग गिरने पर नीचे दब गए। पता चलते ही पूरा भावाधस समाज वहां पहुंच गया। देखते ही देखते पूरा परिवार व रिश्तेदार इमारत के पास एकत्रित हो गए। तभी किसी ने फोन पर लक्ष्मण द्रविड़ से बात होने की जानकारी दी और बताया कि उसने कहा कि वह सुरक्षित है और टांगों पर सलैब गिरी होने के कारण फंसा हुआ है। इसके कुछ घंटों बाद उनका मोबाइल बंद आ रहा है। जहां तक मौके की बात करें तो बचाव कर्मियों को यह जानने में भी मुश्किल हो रही थी कि बिल्डिंग के किस हिस्से में लोग फंसे हुए हैं।