प्रतिवर्ष 10-11 करोड़ राजस्व देने वाली मकसूदां मंडी में न सुविधाएं, न सुरक्षा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 09:06 AM

no facilities in the revenue giving maksudod mandi  nor safety

पंजाब मंडी बोर्ड, जो राज्य सरकार के कमाऊ पुत्र के नाम से जाना जाता है, के अंतर्गत आती 58 एकड़ में फैली मकसूदां नई सब्जी मंडी से विभाग को मार्कीट कमेटी फीस व आर.डी.एफ. (रूरल डिवैल्पमैंट फंड) के रूप में प्रतिवर्ष 10-11 करोड़ रुपए की आय होती है।

जालंधर (शैली): पंजाब मंडी बोर्ड, जो राज्य सरकार के कमाऊ पुत्र के नाम से जाना जाता है, के अंतर्गत आती 58 एकड़ में फैली मकसूदां नई सब्जी मंडी से विभाग को मार्कीट कमेटी फीस व आर.डी.एफ. (रूरल डिवैल्पमैंट फंड) के रूप में प्रतिवर्ष 10-11 करोड़ रुपए की आय होती है। इसके बावजूद मंडी के कारोबारी मूलभूत सुविधाओं से जूझते रहते हैं। मौजूदा टाइम में मंडी में 250 के करीब दुकानें व बूथ बने हुए हैं तथा मेले की भांति प्रतिदिन मंडी में व्यापारियों, परचून सब्जी विक्रेताओं व आम ग्राहकों का आना-जाना लगा रहता है। मंडी में प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता है। 

सुरक्षा के प्रबंध जीरो
मंडी में गत काफी समय से जेब कतरों व लुटेरों द्वारा कई बार आढ़तियों, व्यापारियों व ग्राहकों को निशाना बनाया जा चुका है। इसके बावजूद मंडी में सुरक्षा प्रबंध नहीं किए जा रहे। मंडी में मात्र तीन गेट हैं, इसके बावजूद विभाग कुछ नहीं कर पा रहा। 

पार्किंग बनाम एंट्री टैक्स
मंडी में सामान लाने व लेजाने के लिए गेटों पर पार्किंग ठेकेदार के कारिंदे पार्किंग के नाम पर एंट्री टैक्स वसूलते हैं। गौरतलब है कि पार्किंग का 2017-18 का वाॢषक ठेका 2.70 करोड़ के लगभग में हुआ था। पार्किंग ठेकेदार के कारिंदे मंडी की पार्किंग  में वसूली करने की अपेक्षा मंडी में प्रत्येक एंट्री प्वाइंट पर वाहन चालकों से मनमानी वसूली करते हैं। 

जगह-जगह खड़ी रेहडिय़ां बनती हैं  ट्रैफिक  जाम का कारण 
पार्किंग ठेकेदार के कारिंदों से मात्र 50 रुपए की पर्ची कटवाकर अनगिनत फ्रूट बिक्री करने वाले व अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले सुबह 4 बजे ही मंडी की मुख्य सड़कों के किनारे डट जाते हैं। यह वही समय है जब विभिन्न राज्यों से फल एवं सब्जियों की आमद भी जोर -शोर से होती है जिस कारण मंडी में रोजाना जाम लग जाता है व आढ़तियों को भी दुकानों तक पहुंचने में दिक्कत आती है।

जानकारी देने के बावजूद मार्कीट कमेटी ने इसका कोई समाधान नहीं निकाला। फ्रूट मंडी के प्रधान एच.एस. कुक्कू के अनुसार मंडी में रेहडिय़ों को आने ही नहीं देना चाहिए। अगर आती भी हैं तो माल खरीद लेने के बाद उनको  बाहर भेज देना चाहिए या रेहडिय़ों को मुख्य सड़कों से हटाकर अलग जगह उपलब्ध करवाई जानी चाहिए इतना ही नहीं मंडी में पार्किंग ठेकेदार के कारिंदे 50-100 रुपए लेकर मंडी में कई जगह झोलाछाप डाक्टरों,  वैद्यों व अन्य सामान बेचने वालों को स्टाल तक लगाने देते हैं। ध्यान दिलाए जाने के बावजूद मंडी अधिकारियों ने इसका संज्ञान नहीं लिया। 

जगह-जगह लगे हैं प्लास्टिक क्रेटों के अम्बार 
मकसूदां मंडी में गत वर्ष आग लगने से लाखों प्लास्टिक के क्रेट राख हो गए थे, लेकिन उक्त घटना के बावजूद मार्कीट कमेटी ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं किए। उसी जगह पर फिर से क्रेटों के अम्बार लग गए हैं। यही नहीं उसके साथ ही नाजायज कब्जा कर चाय की दुकानें खोली गई हैं जिनमें कमॢशयल सिलैंडर की जगह घरेलू सिलैंडर का  प्रयोग हो रहा है। इनके कारण किसी भी वक्त कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। 

मंडी में बढ़ रही बाल मजदूरी व सब्जी की चोरी के घटनाएं 
शहर में विभिन्न वाहनों के शीशे तोड़ कर सामान चुराने वाले भोतू गैंग की तरह मंडी में छोटे-छोटे बच्चों का एक ऐसा गैंग  है जो आढ़तियों की फड़ों पर रखी बोरियों को ब्लेड से फाड़कर उनमें से सब्जियां चुराकर आगे परचून सब्जी विक्रेताअओं को आधे भाव में बेच जाते हैं।  कुछ खाद्य सामग्री बेचने वालों ने छोटे- छोटे बच्चों,जिन्हें इस उम्र में पढऩे स्कूल जाना चाहिए, से 50 रुपए प्रतिदिन की दर पर खाद्य सामग्री की बिक्री करवाई जाती है। 

आवारा जानवरों की बढ़ रही तादाद
हरी सब्जियां व फल अधिक होने के कारण महानगर भर के आवारा जानवरों का जमावड़ा दिन-प्रतिदिन मंडी में बढ़ता जा रहा है। रोजाना मंडी में बुल फाइटिंग फ्री में देखने को मिल जाती है। यही आवारा सांड बहुत से लोगों को जख्मी व कई वाहनों को नुक्सान पहुंचा चुके हैं। फड़ों पर घूम रहे आवार जानवर  किसानों व आढ़तियों के माल तक को खा जाते हैं। 
 

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