Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Oct, 2017 11:42 PM
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज कहा कि किसानों की ओर से खेतों में पराली यानी फसल के अवशेष जलाने का ‘गंभीर’ सिलसिला जारी है। एनजीटी ने पराली जलाने
नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आज कहा कि किसानों की ओर से खेतों में पराली यानी फसल के अवशेष जलाने का ‘गंभीर’ सिलसिला जारी है। एनजीटी ने पराली जलाने के चलन पर रोक के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्र और पंजाब एवं हरियाणा की सरकारों से जवाब तलब भी किया। एनजीटी ने पंजाब के कई किसानों का पक्ष सुना और राज्य सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि वह इस समस्या के समाधान के लिए किसानों को कैसे उचित मशीनरी मुहैया कराएगी। अधिकरण ने पंजाब सरकार को यह निर्देश भी दिया कि वह बिजली संयंत्रों एवं ऐसे उद्योगों की सूची सौंपे जो पराली का इस्तेमाल कर सकें। एनजीटी ने राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) से जवाब तलब किया कि वह ‘‘पर्यावरण की खातिर’’ अपने ‘‘कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व’’ के तहत किसानों से पराली क्यों नहीं ले सकता।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूॢत स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों राज्यों से भी जवाब मांगा कि क्या पराली को खेतों में मिलाने से लंबी अवधि में उस मिट्टी को कोई फायदा होगा। अधिकरण ने यह भी पूछा कि सरकार किसानों के बीच ही कोई ऐसा तंत्र क्यों नहीं विकसित कर रही जिससे वे ऐसे मुद्दों को सुलझा सकें। सुनवाई के दौरान एनजीटी ने निर्देश पारित करने से पहले किसानों से कई सवाल किए। आज सैकड़ों किसान एनजीटी परिसर के बाहर इकट्ठा हुए थे। पंजाब सरकार ने आज 12 किसानों को एनजीटी के सामने पेश किया, जिनके बारे में उसने दावा किया कि उन्हें पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन राशि और आधारभूत संरचना संबंधी सुविधाएं दी गई हैं। कार्यवाही के दौरान किसानों की तरफ से पेश हुए वकील आई.जी. कपिला ने अखबारों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि यह समस्या गंभीर है।