Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Sep, 2017 02:55 PM
फेस्टिवल सीजन में मिठाइयों के साथ-साथ फलों की डिमांड बढ़ जाती है।
बठिंडाः फेस्टिवल सीजन में मिठाइयों के साथ-साथ फलों की डिमांड बढ़ जाती है। नवरात्र से लेकर छठ पूजा तक आधा दर्जन के करीब त्योहारों में ज्यादातर फलों का प्रयोग किया जाता है। इन दिनों व्रत के दौरान फलों की ज्यादा मांग को देखते हुए कैमिकल कार्बाइड से कच्चे केले को कुछ ही घंटों में पका कर बाजारों में जहर के रूप में परोसा जा रहा है।
एक कारोबारी ने अपना नाम छापने की शर्त में खुलासा किया है कि कार्बाइड से एक दिन में ही केला पक जाता है। इसका नुकसान तो है लेकिन उनके पास कोई और जरिया नहीं है। वहीं डी.एच.ओ. डॉ. राकेश गोयल ने सोमवार को कहा था कि उनकी टीम ने सभी जगह चैकिंग की थी और फोटो भी ली थीं। उनके मुताबिक जिससे केला पकाया जा रहा है वह चीज सही है जबकि केला पकाने वाले खुद मानते हैं कि उनके पास कार्बाइड से केला पकाने के अलावा कोई दूसरा तरीका नहीं है।
मार्कीट में आने वाले पपीता, सेवफल, तरबूज चीवड़ी आदि फल भी कार्बाइड से ही पकाए जाते हैं। पीला और सुंदर दिखने वाला केला लोगों का ध्यान तो अपनी ओर खींचता है, लेकिन यह केला सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। फलों को कार्बाइड से पकाने पर फलों में विटामिन व पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती है।
खासकर त्योहार के दिनों में फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग दूसरे दिनों के मुकाबले अधिक किया जाता है।