Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jul, 2017 02:41 PM
लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने नगर निगम व इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के अफसरों को रिवर्ट या सस्पैंड करने बारे चलाई मुहिम के तहत हाल ही
लुधियाना (हितेश): लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने नगर निगम व इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के अफसरों को रिवर्ट या सस्पैंड करने बारे चलाई मुहिम के तहत हाल ही में जो 3 सुपरिंटैंडैंट इंजीनियरों से सी.डी.सी. चार्ज वापस लेने की कार्रवाई की है। उससे इस कैटागरी में पोस्टिंग का मजा ले रहे अफसरों में भी गाज गिरने को लेकर घबराहट का माहौल है।सरकार ने कई केसों में कोर्ट के सामने अंडरटेकिंग दी हुई है कि लोकल बॉडीज के अफसरों को सी.डी.सी. चार्ज नहीं दिया जाएगा, क्योंकि जिन अफसरों को सी.डी.सी. चार्ज मिलता है, वे बाद में उस पीरियड के लिए प्रमोशन या वित्तीय लाभ की दावेदारी करते हैं। उसके बावजूद निगमों या इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के आला अधिकारी अपने तौर पर ही चहेते मुलाजिमों को ऊपरी पोस्ट का सी.डी.सी. चार्ज देते आ रहे हैं।
हालांकि उस संबंधी जारी होने वाले आदेशों में वित्तीय लाभ न देने का जिक्र खास तौर पर किया जाता है। लेकिन उस मुलाजिम द्वारा अपनी पावर में न होने के बावजूद ऊपरी अफसर के अधिकार वाले काम करने से नियमों का उल्लंघन हो रहा है। इसके मद्देनजर जहां सरकार ने निगमों व इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों को अपने तौर पर सी.डी.सी. चार्ज न देने बारे आदेश दिए हुए हैं और यह पावर अपने पास रख ली है। अगर बात पिछली अकाली-भाजपा सरकार की करें तो मंत्री अनिल जोशी द्वारा आखिरी दिनों दौरान उन मुलाजिमों को थोक के भाव तरक्की दी गई जो वरिष्ठता सूची में पीछे होने के अलावा तय योग्यता भी पूरी नहीं करते थे। उनको 75 फीसदी योग्यता पूरी करने के आधार पर एडहाक प्रमोशन दी गई। जो मुलाजिम इस कैटागरी में भी नहीं आते थे, उनको जूनियर होने के बावजूद सी.डी.सी. चार्ज देकर ऊपरी पोस्ट पर बिठा दिया गया। अब सिद्धू राज में इन मुलाजिमों को डी.पी.सी. की मीटिंग में मंजूरी लिए बिना प्रमोशन लेने के आरोप में लगातार रिवर्ट किया जा रहा है। जिस लिस्ट में पिछले समय दौरान सी.डी.सी. चार्ज लेने वाले भी शामिल हो गए। उसके तहत हाल ही में इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के 3 सुपरिंटैंडैंट इंजीनियरों को वापस एक्स.ई.एन. बना दिया गया है तथा उस कैटागरी में आते बाकी मुलाजिमों की लिस्टें तैयार की जा रही हैं।
ऊपरी पोस्ट पर बैठने की चाह रखने वालों का नहीं पूरा होगा सपना
यहां बताना उचित होगा कि पिछली सरकार ने इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के 3 एक्स.ई.एन्ज अतुल शर्मा, सतिन्द्रजीत सिंह, प्रदीप जैसवाल को सुपरिंटैंडैंट इंजीनियर का सी.डी.सी. चार्ज बनाने के आदेश यह दलील देकर जारी किए थे कि विकास कार्यों की मोनीटरिंग के लिए स्टाफ की कमी है। अब सरकार ने यह आदेश रद्द करने के लिए दलील दी है कि 6 एस.ई. की पोस्ट कुछ जिले अलाट करके बनाए रिजन में तकनीकी कामों की मोनीटरिंग के लिए बनाई गई थी लेकिन वह उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा तथा काफी समय से कोई नई स्कीम विकसित न होने कारण 2 इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों में ज्यादा वर्क लोड भी नहीं है। इस कारण लोकल बॉडीज के एडीशनल चीफ सैक्रेटरी द्वारा 3 एक्स.ई.एन्ज से एस.ई. का सी.डी.सी. चार्ज वापस लेने से उन अफसरों के सपनों पर पानी फिर गया है जो अब नए सिरे से सी.डी.सी. चार्ज लेने के लिए हाथ-पांव मार रहे थे।
आखिरी दिनों में आर्डर जारी करने वाला रिटायर अफसर भी राडार पर
जहां तक लोकल बॉडीज में गलत ढंग से प्रमोशन व सी.डी.सी. चार्ज देने का सवाल है, उसमें ज्यादातर काम उस समय ही हुआ। जब सरकार के आखिरी दिनों में गलत काम करवाने का दबाव बढऩे के चलते सैक्रेटरी व डायरैक्टर ने छुट्टी ले ली थी। उस समय एक रिटायर अफसर को डायरैक्टर का चार्ज दे दिया गया, जिसने आंखें बंद करके प्रमोशन व सी.डी.सी. चार्ज देने के आदेश जारी कर दिए। इसके लिए डायरैक्टर व एडीशनल सैक्रेटरी तक के नाम का प्रयोग किया गया। जो उसकी पावर में ही नहीं था। हालांकि नई सरकार आने पर उक्त अफसर को फारिग कर दिया गया है लेकिन पहले किए गलत कामों के लिए विजीलैंस को केस सौंपने बारे वह सिद्धू के राडार पर है।