Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 03:13 PM
पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने श्री दरबार साहिब से प्रसारित होने वाली गुरबाणी के प्रसारण अधिकार एक ही चैनल को दिए जाने के मामले में आवाज उठाई है।
अमृतसरः पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने श्री दरबार साहिब से प्रसारित होने वाली गुरबाणी के प्रसारण अधिकार एक ही चैनल को दिए जाने के मामले में आवाज उठाई है। पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ विशेष इंटरव्यू दौरान सिद्धू ने कहा कि वह इस मामले पर श्री अकाल तख्त साहिब जाकर भी लिखित में अपनी आवाज उठाएंगे। सिद्धू ने बातचीत दौरान प्रदूषण के साथ-साथ पंजाब के अन्य मसलों व सियासत पर भी बेबाक राय रखी। पेश है नवजोत सिंह सिद्धू का खास इंटरव्यू।
प्र. : आप बिक्रम सिंह मजीठिया पर हमला करने का कोई मौका क्यों नहीं छोड़ते?
उ. : मजीठिया खुद को माझे का जरनैल कहता है। चिट्टा बेचने वाले जरनैल नहीं होते और न ही अपने हलकों में 45,000 वोटों से हारने वाले जरनैल होते हैं। हाल ही के गुरदासपुर लोकसभा सीट के उप-चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हिस्से वाली सीटों पर भाजपा उम्मीदवार स्वर्ण सलारिया की हार 4 से 5 हजार वोटों के बीच हुई लेकिन जिन सीटों पर बिक्रम सिंह मजीठिया को जिम्मेदारी मिली, वे सीटें 45,000 वोटों से हारे। मजीठिया की क्वालिटी क्या है। जब अकाली दल की पहली बार सरकार बनी तो मजीठिया की बहन हरसिमरत कौर घर पर नाराज होकर बैठ गई कि मेरे भाई को मंत्री बनाओ। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करके पहली बार विधायक बने मजीठिया को मंत्री बना दिया।
प्र. : आपके आरोपों में से एक भी कानूनी तौर पर साबित क्यों नहीं हुआ?
उ. : बात कानूनी तौर पर साबित होने की नहीं है, हर चीज कानूनी नहीं होती। लोगों की अदालत ने देखो क्या फतवा दिया है। लोगों ने हमें 77 व अकाली दल को 15 सीटों पर क्या ला पटका। अमृतसर में अरुण जेतली नहीं हारे। मजीठिया के कारण जेतली की हार हुई है। इन लोगों ने अकाली दल को निजी जायदाद बनाकर रख लिया है।
प्र. : पंजाब में कुत्तों व बिल्लियों को लेकर हो रही सियासत के पीछे सच्चाई क्या है?
उ : दरअसल गुरदासपुर में 2 लाख वोटों की हार के बाद बिक्रम सिंह मजीठिया बौखलाए हुए हैं। उन्हें कोई मुद्दा नहीं मिल रहा, लिहाजा वह कुत्तों व बिल्लियों पर बोल रहे हैं। दरअसल यह पूरा मामला माननीय हाईकोर्ट के आदेश के साथ जुड़ा हुआ है। न्यायालय ने आदेश दिया था कि पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में यदि किसी जानवर के काटने से किसी व्यक्ति की मौत होती है तो पीड़ित परिवार को राज्य सरकार 1 लाख रुपए मुआवजा देगी। इसी सिलसिले में विभाग में मंत्रणा भी चल रही है। यदि सरकार पालतू जानवर रखने पर कोई टैक्स लगाएगी तो उसका बकायदा नोटीफिकेशन जारी किया जाता है लेकिन नोटीफिकेशन जारी होने से पहले ही मजीठिया ने बयानबाजी शुरू कर दी।
प्र. : आप कहते हो कि मजीठिया सुरक्षा छोड़े, सुरक्षा तो आपने भी ले रखी है?
उ. : जिन लोगों के साथ हमारी वैचारिक लड़ाई है वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। कल को कोई ऐरा-गैरा, नत्थू-खैहरा हमला कर जाए तो कौन जिम्मेदार है लेकिन मेरे साथ वैसी सुरक्षा नहीं है। वह तो आगे-पीछे गाडिय़ां लेकर चलते हैं और साथ में फायर ब्रिगेड रखते हैं। इन्हें जनता से डर है, मुझे जनता से डर नहीं है क्योंकि जनता मुझे प्यार करती है।
प्र. : मजीठिया के बयान के बाद आपका जवाब भी उन्हीं के स्तर का क्यों था?
उ. : मेरा मजीठिया से क्या मुकाबला है। मजीठिया की क्वालिटी सिर्फ रिश्ते में सुखबीर का साला होना है। वह सुरक्षा घेरा छोड़े और मेरे साथ अम्बाला से आगे चले और पता चल जाएगा कि किसकी पहचान अपने बूते है। मैं देश के लिए 20 साल खेला हूं और जो देश के लिए खेलता है उसे सुबह 5 बजे उठकर मेहनत करने की आदत होती है। मजीठिया से पूछो कभी मेहनत की है या कालेज में ही कहीं मैडल जीता है। मैंने देश के लिए खेलने के साथ साथ टी.वी. पर वर्षों काम किया है। मोटीवेशनल शो किए हैं। फिल्मों में काम किया है। मेरी अपनी पहचान है। मजीठिया को कौन जानता है। मेरी उसके साथ तुलना न की जाए। सिद्धू ने मजीठिया पर शायराना अंदाज में हमला करते हुए कहा,‘गन्ने तों गनेरी मिट्ठी, गुड़ तों मिट्ठा राला, भाई तों भतीजा प्यारा, सब तों प्यारा साला।’