Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 02:06 PM
देशभर में मोदी के नाम का डंका बज रहा है व लोकप्रियता के मामले में इंदिरा गांधी व अटल बिहारी वाजपेयी को पीछे छोड़ चुके नरेन्द्र मोदी की स्थिति इस समय यह है कि देश ही नहीं अपितु विदेशों के दिग्गज शासनाध्यक्ष जो कभी आंखें तरेर कर बात करते थे, मोदी उनसे...
अमृतसर (जिया): देशभर में मोदी के नाम का डंका बज रहा है व लोकप्रियता के मामले में इंदिरा गांधी व अटल बिहारी वाजपेयी को पीछे छोड़ चुके नरेन्द्र मोदी की स्थिति इस समय यह है कि देश ही नहीं अपितु विदेशों के दिग्गज शासनाध्यक्ष जो कभी आंखें तरेर कर बात करते थे, मोदी उनसे आज आंखों में आंखें डालकर बात कर रहे हैं। पूरे देश की तरह यदि भाजपा मोदी मॉडल को पंजाब में भी कैश करना चाहती है तो पार्टी हाईकमान कोप्रदेश संबंधी नीतियों में भारी बदलाव करना होगा जिसके लिए जरूरी है कि वह गठबंधन की जंजीरों से स्वयं को मुक्त कर अपने दम पर जनता के बीच जाए।
कांग्रेस से मोह भंग, आप भी टायं-टायं फिस्स
आज स्थिति यह है कि मन लुभावने वायदों की बैसाखियों के सहारे रा’य में सत्तासीन हुई कांग्रेस के प्रति आम जनता का मोह भंग हो चुका है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी जो विधानसभा चुनावों में दूसरे दल के रूप में उभरी थी, की स्थिति भी टांय-टांय फिस्स हो चुकी है।
अकाली दल के प्रति उपजे आक्रोश का खमियाजा भुगत रही भाजपा
अकाली दल के प्रति पंजाब की जनता में उपजा आक्रोश विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, थमने का नाम नहीं ले रहा जिसका खमियाजा पूरी तरह से भाजपा को भुगतना पड़ रहा है। मोदी की प्रभावशाली नीतियों के चलते पंजाब वासी एक विकल्प के तौर पर भाजपा की तरफ देख रहे हैं, लेकिन अकाली दल के साथ गठबंधन के कारण जनता की विश्वसनीयता हासिल करने में भाजपा असफल है। देशव्यापी चल रही केन्द्र सरकार की योजनाओं व जन-कल्याणकारी नीतियों को पंजाब वासी भी भलीभांति समझ रहे हैं और ‘सबका साथ सबका विकास’ की कड़ी में भी पंजाब के लोग स्वयं को शामिल करना चाहते हैं।
मजबूत सेनापति की कमी से टूट रहा वर्करों का मनोबल
अब समय आ गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय भाजपा नेतृत्व को गठबंधन की जंजीर तोड़ कर अपने दम पर पंजाब की राजनीति में कदम बढ़ाने होंगे। भारतीय जनता पार्टी शुरू से ही कै डर पार्टी रही है, निरन्तर खराब प्रदर्शन व हार की वजह से वर्करों का जो मनोबल टूट चुका है, उसे पुन: गतिशील करने के लिए संगठन की मजबूती पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। पार्टी वर्कर तो पूर्व की भांति पूरे जोश से मैदान में डटने को तैयार हैं लेकिन राज्य इकाई में मजबूत सेनापति न होने से कार्यकत्र्ता की स्थिति जाएं तो जाएं कहां जैसी बनी हुई है।
मजबूत संगठन के कारण जीते जा सके महाराष्ट्र व हरियाणा
हाईकमान को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मजबूत संगठन के कारण ही पार्टी ने महाराष्ट्र में शिवसेना की धमकियां न सहते हुए अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ा था जिसके परिणामस्वरूप पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सत्तासीन हुई व हरियाणा में पहली बार अकेले चुनाव लड़ कर सत्ता के सिंहासन पर पहुंची। यदि इन 2 राज्यों में पार्टी अपने दम पर सरकार बना सकती है तो पंजाब में क्यों नहीं। केन्द्र में बैठे भाजपा नेताओं को इस बारे गहन मंथन करना होगा जिससे पंजाब के खेत-खलिहानों में अपने दम पर कमल को खिलाया जा सके।