Edited By Vaneet,Updated: 17 Jan, 2018 08:13 PM
अमर शहीद भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर के जिस शादमान चौक पर फांसी दी गई थी उस स्थान का नाम शहीद भगत सिंह चौक रखने का मामला मंगलवार को एक बार फिर से उस समय गर्मा उठा जब शहीद भगत सिंह मैमोरियल...
होशियारपुर(अमरेन्द्र मिश्रा): अमर शहीद भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर के जिस शादमान चौक पर फांसी दी गई थी उस स्थान का नाम शहीद भगत सिंह चौक रखने का मामला मंगलवार को एक बार फिर से उस समय गर्मा उठा जब शहीद भगत सिंह मैमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के चेयरमैन इख्तियाज राशिद कुरैशी ने लाहौर के मेयर व चीफ कमिश्नर को इस संबंधी मांगपत्र सौंपा।
क्या लिखा है मांगपत्र में
पाकिस्तान से इस संबंधी जानकारी देते हुए इख्तियाज कुरैशी ने बताया कि लाहौर के चीफ कमिश्नर व मेयर को सौंपे गए मांगपत्र में हमने साफ तौर पर लिखा है कि शहीद भगत सिंह इस महाद्वीप के ना सिर्फ महान क्रांतिकारी थे बल्कि उनका नाम पूरी दुनियां जानती है। यही नहीं स्वंय कायदे आजम जिन्ना साहिब ने भी उन्हें श्रद्घांजलि देते हुए कहा था कि इस महाद्वीप में भगत सिंह जैसा बहादुर इंसान पैदा नहीं हुआ जिसकी मिसाल दुनियां भर में कहीं नहीं है।
उन्होंने पाकिस्तान सरकार से मांग की कि शहीद भगत सिंह को पाकिस्तान का सर्वोच्च बहादुरी सम्मान निशान-ए-हैदर अवार्ड से नबाजा जाए। शादमन चौक का नाम ना सिर्फ शहीद भगत सिंह चौक रखा जाए बल्कि उनका बुत भी लगाया जाए ताकि आने वाली पीढिय़ों को पता चले कि उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए कितनी बड़ी कुर्बानियां दी थी। ऐसा करने से दुनियां में पाकिस्तान का सिर ऊंचा होगा कि पाकिस्तान में शहीदों को पूरा सम्मान दिया जाता है और धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है।
भगत सिंह पाकिस्तान का बेटा था
इख्तियाज कुरैशी ने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि जल्द ही पाकिस्तान की अदालत में यह साबित हो जाएगा कि भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को फांसी देने का ब्रिटिश हुकूमत का फैसला गलत था क्योंकि वह बेगुनाह थे फिर भी उन्हें इस स्थान पर सूली पर चढ़ाया गया था। कुरैशी से जब पूछा कि एक मुसलमान होकर आप भारत के हीरो शहीद भगत सिंह की कानूनी लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं तो उन्होंने कहा, भगत सिंह जितने हिंदुस्तान के हैं उतने ही पाकिस्तान के भी है। उनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान में हुआ है अत: वह भारत के हीरो हैं तो पाकिस्तान का बेटा।
भगत सिंह को आप सरहद की सीमा में नहीं बांध सकते हैं। मैं पाकिस्तानी हूं पर हम यह कैसे भूल सकते हैं कि मेरे पूवर्ज भी इस देश को आजादी दिलाने के लिए लड़े थे। मुझे बचपन में ही मेरे वालिद भगत सिंह की शहादत के बारे में बताया था व बाद में स्कूल व कालेजों में पढ़ाई के दौरान मैंने भगत सिंह को पढ़ा है। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह हिंदुस्तान व पाकिस्तान के कामन हीरो हैं। यदि दोनों मुल्क के सरकार इस हीरो को ही आधार बना ले तो सरहद के दोनों ही तरफ शांति व खुशहाली आ सकती है।