Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Sep, 2017 09:24 AM
नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों की हदों में बिना सी.एल.यू. करवाए नक्शा पास करने के खेल में कई बड़े अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है। मामला स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पास पहुंच चुका है।
जालंधर (रविंदर): नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों की हदों में बिना सी.एल.यू. करवाए नक्शा पास करने के खेल में कई बड़े अधिकारियों का नाम सामने आ रहा है। मामला स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पास पहुंच चुका है। संभावना है कि आने वाले दिनों में सरकार इस मामले में जांच बिठा सकती है, जिससे कई बड़े अधिकारियों पर इसकी गाज गिरना तय है। पंजाब केसरी में खबर छपने के बाद इस घोटाले में शामिल अधिकारियों में हड़कंप मच गया है और उन्होंने अपने बचाव के लिए हाथ-पांव मारने शुरूकर दिए हैं। गौर हो कि जिले की तमाम नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों की हद में बिना चेंज लैंंड यूज (सी.एल.यू.) के ही कई सालों से अधिकारियों की मिलीभगत से व्यापारिक व कमॢशयल बिल्डिंगों के नक्शे पास किए जा रहे थे। पंजाब केसरी ने इस घोटाले का अपने शुक्रवार के अंक में पर्दाफाश किया था।
काबिले गौर है कि किसी भी बिल्डिंग को रिहायशी इलाके में कमॢशयल में तबदील करने से पहले सी.एल.यू. जरूरी होता है। शहर की हदों में जहां काफी हद तक इसका पालन हो रहा है, वहीं नगर कौंसिलों व नगर पंचायतों की हद में जमकर घोटाला किया जा रहा है। रिजनल डिप्टी डायरैक्टर लोकल बॉडी ने चि_ी जारी कर सभी ई.ओ., निगम इंजीनियर, नगर कौंसिल व नगर पंचायतों को वार्निंग दी थी कि ऐसी शिकायतें लगातार पिछले काफी समय से आ रही हैं। इस संबंध में अधिकारियों को मासिक बैठक में भी वार्निंग दी गई थी, मगर इस पर कोई अमल नहीं हुआ था। अब डिप्टी डायरैक्टर ने साफ कर दिया है कि अगर रजिस्ट्री या सेल डीड कमॢशयल है या शहर का मास्टर प्लान नहीं बना है तो भी सी.एल.यू. किया जाना चाहिए।
ऐसा न कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। चि_ी में यह भी कहा गया है कि भविष्य में किसी भी तरह की कर्मशियल बिल्डिंग बिना सी.एल.यू. के सामने आई तो अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पंजाब केसरी में खबर छपने के बाद सरकार भी हरकत में आ गई है। पूरा मामला स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के ध्यान में आ गया है। सरकार अब इस मामले में जांच बिठाने जा रही है और जांच में इस बात का पता लगाया जाएगा कि किस-किस अधिकारी की शह पर कब से इस खेल को खेला जा रहा था। एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन एक साल में ही सरकार को सी.एल.यू. घोटाले से करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है।