Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Mar, 2018 12:22 PM
नगर निगम चुनावों में मेयर बनाने का दावा करने वाली बैंस बदर्ज की पार्टी सिर्फ 7 सीटों पर ही सिमट गई तो उसके सर्मथकों ने हार का ठीकरा अपनी ही सहयोगी आम आदमी पार्टी पर फोडऩा शुरू कर दिया है, जिससे अब इस गठबंधन भी टूटने की अटकलें तेज हो गई हैं। गौर रहे...
लुधियाना(हितेश): नगर निगम चुनावों में मेयर बनाने का दावा करने वाली बैंस बदर्ज की पार्टी सिर्फ 7 सीटों पर ही सिमट गई तो उसके सर्मथकों ने हार का ठीकरा अपनी ही सहयोगी आम आदमी पार्टी पर फोडऩा शुरू कर दिया है, जिससे अब इस गठबंधन भी टूटने की अटकलें तेज हो गई हैं। गौर रहे कि बैंस बदर्ज ने अपना सियासी कैरियर अकाली दल मान के साथ शुरू किया था और फिर अकाली दल बादल में शामिल हो गए।
हालांकि अकाली दल में रहते हुए भी बैंस का अन्य लीडरशिप के साथ हमेशा विवाद ही रहा लेकिन 2012 के विधानसभा चुनावों में 2 टिकटें न मिलने के कारण उन्होंने अकाली दल छोड़ दिया और आजाद जीतने के बाद फिर से सुखबीर बादल को स्र्पोट दे दी जिस दौरान पहले मंत्री पद और फिर एम.पी. चुनावों में टिकट न मिलने के चलते बैंस ने दोबारा से अकाली दल को अलविदा कह दिया। अब 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान बैंस ने पहले नवजोत सिद्धू व परगट सिंह के साथ मोर्चा बनाया और उनके साथ कांग्रेस में जाने की बजाय सरकार बनाने के करीब पहुंच चुकी आम आदमी पार्टी के गठबंधन करके दोबारा दोनों सीटें जीती।
हालांकि बाकी 2 सीटों पर बैंस के उमीदवारों को काफी वोट मिली जिसके मद्देनजर उन्होंने गठबंधन के तहत ही नगर निगम चुनाव लडऩे का फैसला किया और जिद करके अपनी मर्जी वाली टिकटें भी हासिल की लेकिन उनका मेयर बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाया। कयोंकि सिर्फ 7 सीटों पर ही बैंस उमीदवार जीत पाए हैं, जिसे हलका साऊथ व आतम नगर में पकड़ कमजोर होने के रूप में देखा जा रहा है।उधर इन नतीजों के मद्देनजर बैंस ग्रुप डैमेज कंट्रोल में जुट गया है जिनके द्वारा कांग्रेस पर धककेशाही के आरोप लगाकर अपनी हार पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। इससे यह संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि अपना आधार कायम रखने के लिए बैंस ग्रुप आने वाले समय में आम आदमी पार्टी से अलग हो सकता है।