Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 01:25 PM
नगर निगम चुनाव करवाने के लिए नए सिरे से हो रही वार्डबंदी की प्रक्रिया पहले कांग्रेसियों की आपसी खींचतान तो अब बैंस ब्रदर्ज के एतराजों के चलते लटक गई है। इसके तहत सरकार द्वारा नियमों के मुताबिक सुधार करने के नाम वार्डबंदी का खाका वापस नगर निगम को...
लुधियाना(हितेश): नगर निगम चुनाव करवाने के लिए नए सिरे से हो रही वार्डबंदी की प्रक्रिया पहले कांग्रेसियों की आपसी खींचतान तो अब बैंस ब्रदर्ज के एतराजों के चलते लटक गई है। इसके तहत सरकार द्वारा नियमों के मुताबिक सुधार करने के नाम वार्डबंदी का खाका वापस नगर निगम को लौटा दिया है। महानगर के वार्डों की संख्या 75 से बढ़ाकर 95 करने के नाम पर चल रही वार्डबंदी की प्रक्रिया को लेकर कांग्रेसियों पर शुरू से ही मनमर्जी करने के आरोप लग रहे हैं, जिसमें नए बनने वाले वार्डों की बाऊंड्री तय करने का पहलू मुख्य रूप से शामिल है।
इसके तहत मेन रोड से वार्ड को डिवाइड करने या एक मोहल्ला 2 वार्डों में शामिल न करने संबंधी गाइडलाइन्स को नजरअंदाज किए जाने के चर्चे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर कई बार कांग्रेसी विधायकों की ही आपस में सहमति न बनने का खुलासा भी हो चुका है। इसी तरह वार्डों को एस.सी. रिजर्व करने की प्रक्रिया में भी नियमों का पालन न होने का मुद्दा उठाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो डायरैक्टर लोकल बाडीज की गैर-मौजूदगी में विधायक सुरेन्द्र डाबर को डी-लिमिटेशन कमेटी का चेयरमैन बनाकर कांग्रेसियों ने नई वार्डबंदी का ड्राफ्ट तो फाइनल कर दिया है लेकिन बैंस ब्रदर्ज द्वारा किए हंगामे के मद्देनजर नोटीफिकेशन जारी नहीं किया जा रहा।
क्योंकि उन्होंने अपने एतराजों के आधार पर कोर्ट जाने की चेतावनी दी हुई है। जिस चक्कर में चुनाव जल्दी करवाने का टारगेट प्रभावित हो सकता है।उपरोक्त हालातों के मद्देनजर सरकार ने एक बार फिर नियमों के मुताबिक वार्डबंदी में सुधार करने का फैसला लिया है, जिसके तहत सारा ड्राफ्ट वापस निगम को भेज दिया गया। जहां चारों जोनों की बिल्डिंग ब्रांच का स्टाफ दिन भर नए बनने वाले वार्डों की बाऊंड्री व उनमें डाले गए मोहल्लों की गलियों की निगम के नक्शे के साथ क्रास चैकिंग करता रहा।