Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 04:44 PM
एक बार फिर महीने के 20 दिन बीतने के बावजूद नगर निगम मुलाजिमों को अब तक तनख्वाह नहीं मिली। इसके अलावा भी बाकी खर्चों के लिए करीब 23.5 करोड़ की जरूरत है।
लुधियाना(हितेश): एक बार फिर महीने के 20 दिन बीतने के बावजूद नगर निगम मुलाजिमों को अब तक तनख्वाह नहीं मिली। इसके अलावा भी बाकी खर्चों के लिए करीब 23.5 करोड़ की जरूरत है। लेकिन किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि 10 दिनों में यह पैसा कहां से आएगा? निगम में लंबे समय से मुलाजिमों को समय पर तनख्वाह नहीं मिलती। जिसकी वजह यह है कि वैट की आमदनी के हिस्से के रूप में सरकार से मिलने वाली मदद का बड़ा हिस्सा लोन की वापसी, पैंशन कटौती के अलावा बिजली बिल देने में ही निकल जाती है जबकि पानी-सीवरेज के बिलों, प्रापर्टी टैक्स, लाइसैंस फीस व अवैध निर्माणों के जुर्माने की रिकवरी का काम ठप्प पड़ा है। इसका नतीजा यह है कि हर महीने 48 करोड़ की जरूरत के मुकाबले निगम के खजाने में सिर्फ 24 करोड़ ही आते हैं। जिस दौर में काम चलाने के लिए कई बार लोन का सहारा लेना पड़ा है। फिर भी वार्ड वाइज विकास कार्य व प्रोजैक्ट ठप्प पड़े हुए हैं।
वैट की आमदनी के मुकाबले सरकार ने नहीं बढ़ा हिस्सा
2006 में चुंगी की वसूली बंद करने का फैसला लेते समय सरकार ने निगमों की आय के विकल्प के रूप में वैट की आमदनी में से हिस्सा देने का फैसला किया था। लेकिन उस समय से लेकर अब तक वैट की रिकवरी काफी बढऩे के मुकाबले निगम को मिलने वाली रकम में कोई इजाफा नहीं हुआ बल्कि कई बार तो पूरी किस्तें ही न आने कारण सरकार की तरफ निगम का काफी बकाया खड़ा है।
दर्जा 4 कर्मियों को शांत रखने के लिए बदला पैटर्न
निगम में पहले अफसरों को तनख्वाह दी जाती थी। जिससे दर्जा 4 कर्मियों द्वारा लेट वेतन मिलने को लेकर विरोध जताया जाता रहा है। जिनकी दलील है कि बैंक लोन की किस्तें, बच्चों के स्कूलों की फीसें देने में देरी होने सहित घर का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। इस पर दर्जा 4 मुलाजिमों को शांत करने के लिए अब पैट्रन बदलकर पहले उनको तनख्वाह दी जाती है।