Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 09:26 AM
भले ही लुधियाना के नगर निगम चुनाव बाकी शहरों से कुछ लेट करवाने की चर्चा हो रही है लेकिन इस बीच अनौपचारिक तौर पर चुनावी बिगुल बज गया है। इसके तहत कांग्रेस अपनी सुविधा वाली वार्डबंदी करने में लगी हुई है और उसकी टिकट के दावेदार काफी पहले से अपने इलाकों...
लुधियाना(हितेश): भले ही लुधियाना के नगर निगम चुनाव बाकी शहरों से कुछ लेट करवाने की चर्चा हो रही है लेकिन इस बीच अनौपचारिक तौर पर चुनावी बिगुल बज गया है। इसके तहत कांग्रेस अपनी सुविधा वाली वार्डबंदी करने में लगी हुई है और उसकी टिकट के दावेदार काफी पहले से अपने इलाकों में सक्रिय हैं। लेकिन अकाली-भाजपा में हालात इससे कुछ अलग है। इनमें अभी 20 नए बनने वाले वार्डों के कोटे का बंटवारा होना बाकी है। वहीं, चुनाव जीतने के लक्ष्य के तहत अकाली-भाजपा द्वारा पुराने वार्डों को आपस में बदलने की कवायद भी चल रही है।
अकाली-भाजपा द्वारा 3 बार मिलकर नगर निगम चुनाव लड़े जा चुके हैं। जिनमें वार्डों का कोटा बढ़ाने के मुद्दे पर हर बार विवाद होता है। जबकि यह लड़ाई कुछ वार्डों को आपस में बदलने का फैसला करके खत्म की जाती है। अब क्योंकि पहले से 20 वार्ड बढ़ जाएंगे। जिनका बंटवारा करने को लेकर अकाली-भाजपा में खींचतान पैदा होना तय माना जा रहा है, क्योंकि शहरी एरिया में 2 पाॢटयों के पास 3-3 हलके होने के बावजूद 10-10 वार्ड बांटने की नहीं बन पा रही है। उपरोक्त रस्साकशी में वोटों का नुक्सान होने के डर से अकाली-भाजपा की हाईकमान ने दखल दिया है।
जहां से लोकल नेताओं को सार्वजनिक तौर पर आपस में कोई विवाद न खड़ा करने की साफ हिदायत मिली है बल्कि हर हाल में कांग्रेस के मुकाबले जीत हासिल करने की रणनीति बनाने का संदेश दिया गया है। इसके तहत यह फार्मूला निकाला जा रहा है कि पुराने कोटे में होने के बावजूद ङ्क्षहदू-सिख बाहुल्य वार्डों को अकाली-भाजपा द्वारा आपस में बदल लिया जाए। सूत्रों की मानें तो नई वार्डबंदी फाइनल होने से पहले ही पुराने वार्डों को लेकर यह मंथन शुरू हो गया है कि कहां किस पार्टी के नेता का ज्यादा प्रभाव है। इसी तरह पिछले विधानसभा चुनाव में मिली वोटों को आधार बनाया जाएगा। जबकि ङ्क्षहदू-सिख की ज्यादा आबादी वाले एरिया के वार्डों को अकाली-भाजपा के पुराने कोटे के मुकाबले बदलने की चर्चा भी गठबंधन नेताओं के बीच शुरू हुई मीटिंगों दौरान हो रही है। जिसे लेकर पत्ते आखिरी दौर में ही खोले जाएंगे।