योग्यता पूरी न करने पर ठेके वाले 4 इंजीनियरों की हुई छुट्टी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Aug, 2017 02:57 PM

municipal corporation

नगर निगम की ओ. एंड एम. शाखा में एक साल से ठेके पर काम कर रहे चार इंजीनियरों की योग्यता पूरी न होने के कारण छुट्टी कर दी गई है।

लुधियाना(हितेश): नगर निगम की ओ. एंड एम. शाखा में एक साल से ठेके पर काम कर रहे चार इंजीनियरों की योग्यता पूरी न होने के कारण छुट्टी कर दी गई है। वर्णनीय है कि अकाली सरकार ने रैगुलर इंजीनियरों की कमी के चलते एक प्राइवेट कंपनी के जरिए स्टाफ रखने का फैसला लिया था। जिनके तहत नगर निगम की ओ. एंड एम. व बी. एंड आर. शाखा में भी एस.डी.ओ. व जे.ई. रखे गए। इसके लिए समस्याओं व समाधान व साइट पर विकास कार्यों की मोनीटरिंग के लिए स्टाफ की कमी पूरी करने का हवाला दिया गया। लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि ठेके पर रखे गए इंजीनियर योग्यता पूरी करते हैं या नहीं। इसका खुलासा होने पर निगम ने कंपनी को सूचित किया तो आनन-फानन में 4 इंजीनियरों की छुट्टी कर दी गई। हालांकि उनको गुडगांव में दूसरी जगह पोस्टिंग कर दी गई है। लेकिन इस कार्रवाई से एक साल पहले उन इंजीनियरों को रखने वाले अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं जिन अफसरों के पास सिस्टम की खामियों को लेकर कोई जवाब नहीं है।


भाई-भतीजावाद की चर्चा जोरों पर
इस मामले में भले ही मेयर ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया हो कि आऊट सोर्सिंग के जरिए स्टाफ रखने का सारा काम अफसरों ने किया है और अगर किसी की योग्यता पूरी नहीं या फिर गलत ढंग से रखा गया है तो उस मुलाजिम व कंपनी पर कार्रवाई भी अफसरों ने ही करनी है। लेकिन असलियत यह है कि सब कुछ सिफारिशी चैनल के जरिए हुआ। इसके तहत आऊट सोर्सिंग के जरिए स्टाफ रखने का फैसला हुआ तो राजनीतिज्ञों व अफसरों की मानों मौज लग गई। जिन्होंने अपने करीबियों व रिश्तेदारों तक को निगम में फिट करवाने का मौका नहीं गवांया। इसमें से एक जे.ई. परमिन्द्र तो मेयर का पड़ोसी ही निकला। जिसे अब योग्यता पूरी न करने के आरोप में फारिग किया गया है।

सिद्धू के पास पहुंच चुका है मामला
इस मामले में आर.टी.आई. एक्ट के तहत जानकारी हासिल करने वाले व्यक्ति ने लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू को भी शिकायत भेजी गई है। इसके मुताबिक स्टाफ रखने से पहले यह चैक नहीं किया गया कि उनके नाम रोजगार आफिस में रजिस्टर्ड हैं या नहीं। इसके अलावा जो मुलाजिम रखे गए, उनकी कंपनी के पास रजिस्ट्रेशन भी पैनल में आने से कुछ समय पहले ही हुई। जिनकी सिलैक्शन डाक्यूमैंट वैरीफिकेशन के नाम पर हुई है। जबकि उस दौरान योग्यता पूरी न करने का पहलु अफसरों ने नजरअंदाज कर दिया।
 

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