Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 11:33 AM
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने गत दिवस अपने आलाधिकारियों को लाथ लेकर डी.ए.सी. के अंदर सफाई के लिए श्रमदान करते हुए एक मिसाल
जालंधर (अमित): डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने गत दिवस अपने आलाधिकारियों को लाथ लेकर डी.ए.सी. के अंदर सफाई के लिए श्रमदान करते हुए एक मिसाल कायम की थी, मगर उसी डी.ए.सी. के अंदर बिल्डिंगों की छत की हालत इतनी दयनीय बनी हुई है कि चारों तरफ मलबे के ढेर लगे हुए हैं और जगह-जगह कूड़ा पड़ा हुआ है और ऊंची-ऊंची घास उगी हुई है। इतना ही नहीं जिस जगह जिले के आलाधिकारियों के दफ्तर हैं और जहां रोजाना हजारों की गिनती में लोग अपने-अपने काम के सिलसिले में आते हैं।
वहां पर पानी वाली टंकियों के अंदर काई जमी हुई है। कई महीनों से टंकियों की सफाई ही नहीं हुई है। पानी वाली टंकियों के ऊपर ढक्कन तक नहीं हैं। पानी इतना गंदा है कि देखकर लगता है कि मानों बीमारियां फैलाने वाली फैक्टरी खुली हुई है। इस प्रकार की अव्यवस्था को देखकर यही सवाल मन में उठता है कि डी.सी. साहब नीचे की सफाई तो आपने करवा दी, मगर ऊपर की सफाई कौन करेगा? कौन-सा अधिकारी अपनी निजी जिम्मेदारी समझते हुए छत के ऊपर पड़े मलबे को साफ करवाने के लिए श्रमदान करेगा? कौन-सा अधिकारी बीमारियां फैलाने वाली फैक्टरी की साफ-सफाई करवाने का प्रबंध करेगा?
यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जिला प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझकर खुद ही आम जनता को देना चाहिए ताकि आम जनता को ऐसा न प्रतीत हो कि केवल एक खास अवसर पर लोक-दिखावे के लिए श्रमदान और साफ-सफाई जैसे काम किए जाते हैं, बल्कि जमीनी हकीकत में अधिकारी इसको लेकर गंभीर हैं और अपनी मौलिक जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए डी.ए.सी. के कोने-कोने की साफ-सफाई को लेकर वचनबद्ध हैं।