अधिकतर प्राईवेट व सरकारी संस्थानों में नहीं है फायर सिस्टम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Dec, 2017 10:47 AM

most of the private and government institutions do not have fire s

जब भी देश में कहीं आग लगने के कारण लोगों के मारे जाने का मामला सामने आता है तो कुछ दिन के लिए तो पूरे देश में प्राईवेट तथा सरकारी संस्थानों में लगे फायर सिस्टम संबंधी कई तरह की जांच-पड़ताल शुरू कर दी जाती है परंतु समय के साथ-साथ फिर सभी अपनी ‘पुरानी...

गुरदासपुर(विनोद): जब भी देश में कहीं आग लगने के कारण लोगों के मारे जाने का मामला सामने आता है तो कुछ दिन के लिए तो पूरे देश में प्राईवेट तथा सरकारी संस्थानों में लगे फायर सिस्टम संबंधी कई तरह की जांच-पड़ताल शुरू कर दी जाती है परंतु समय के साथ-साथ फिर सभी अपनी ‘पुरानी चाल’ पर आ जाते हैं। 

गुरदासपुर की फायर ब्रिगेड की कार्यप्रणाली, सरकारी एवं प्राईवेट संस्थाओं की जांच की गई तो पाया गया कि जहां फायर ब्रिगेड सिस्टम में भारी कमी है वहीं लोग भी अपने संस्थानों में बढिया फायर सिस्टम लगवाना तो दूर की बात, इस संबंधी सोचते भी नहीं हैं। जिला गुरदासपुर के अधिकतर प्राईवेट व सरकारी संस्थानों में फायर सिस्टम ही नहीं है।

क्या स्थिति है सरकारी कार्यालयों की
जिला गुरदासपुर की अधिकतर इंडस्ट्री बटाला व दीनानगर में है। धारीवाल में वूलन मिल को छोड़ गुरदासपुर व धारीवाल में कोई विशेष बड़ी इंडस्ट्री नहीं है परंतु अधिकतर इंडस्ट्री मालिक अपनी फैक्टरियों में फायर सिस्टम को महत्व नहीं देते। पहले तो इंडस्ट्री में फायर सिस्टम लगाया ही नहीं जाता, यदि कोई इंडस्ट्री यह सिस्टम लगवा भी लेती है तो वह बहुत ही घटिया क्वालिटी का लगवाया जाता है, जो जरूरत पडऩे पर काम नहीं आता। केवल अपने लाइसैंस के नवीनीकरण के लिए यह कागजी कार्रवाई पूरी की जाती है। इस संबंधी फायर ब्रिगेड से कभी भी एन.ओ.सी. नहीं लिया जाता।

यही स्थिति जिला गुरदासपुर में बने सभी प्राईवेट व सरकारी अस्पतालों की है। सरकारी अस्पताल, जो नए बने हैं, उनमें तो फायर सिस्टम पूरी तरह से बेहतर ढंग से लगाया गया है जबकि पुराने बने अस्पतालों में यह सिस्टम या तो लगा ही नहीं या बहुत घटिया व खस्ता हालत का लगा है। सरकारी अस्पताल गुरदासपुर, बटाला, दीनानगर आदि को छोड़ कर जितने भी प्राइमरी हैल्थ सैंटर जिला गुरदासपुर में हैं वहां फायर सिस्टम नहीं लगा है, यही स्थिति जिला गुरदासपुर में चल रहे सरकारी स्कूलों की भी है। इसी तरह किसी भी मैरिज पैलेस तथा पैट्रोल पम्प पर बढिय़ा क्वालिटी को फायर सिस्टम नहीं लगा है।

क्या कहते हैं फायर अधिकारी बलविन्द्र सिंह सेखों
फायर ब्रिगेड अधिकारी बलविन्द्र सिंह सेखों ने बताया कि प्राईवेट संस्थानों में तो दूर की बात, सरकारी संस्थानों में भी फायर सिस्टम नहीं लगा है। यदि हम नोटिस जारी करते हैं तो अपने सिस्टम में सुधार करने की बजाय ‘राजनीतिक पहुंच’ से हमारी आवाज ही ‘दबा’ दी जाती है, जो किसी समय बड़ी घटना को रूप देती है।गेहूं के सीजन मे हमें बहुत समस्या पेश आती है। गुरदासपुर शहर में छोटे-बड़े 17 तथा नगर कौंसिल के बाहर छोटे-बड़े 53 मैरिज पैलेस चल रहे हैं परंतु शहर में हर साल 12 हमसे एन.ओ.सी. लेते हैं जबकि शहर के बाहर अधिकतर मैरिज पैलेस हमसे कोई सर्टीफिकेट नहीं लेते।

कोई भी पैट्रोल पम्प हमसे एन.ओ.सी. नहीं लेता। चैक करने पर कहा जाता है कि हम खुराक व सप्लाई विभाग के अधीन आते हैं परंतु आग लगने पर हमें ही ‘आग में कूदना’ पड़ता है। बटाला में पता नहीं कौन-सा कानून लागू है कि वहां हर इंडस्ट्री वाला अपना ट्यूबवैल नहीं लगवा सकता तथा न ही सब-मर्सीबल पम्प लगवा सकता है। वहां पानी की एक टंकी बनी हुई है, वहीं से सभी को अपनी जरूरत अनुसार पानी मिलता है। 

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