Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 03:21 AM
पंजाब में अभी तक पुलिस गिरफ्त से बाहर नामी गैंगस्टरों के साथ मादक पदार्थों की तस्करी में ...
लुधियाना(पंकज): पंजाब में अभी तक पुलिस गिरफ्त से बाहर नामी गैंगस्टरों के साथ मादक पदार्थों की तस्करी में सक्रिय बड़े लोगों को पकडऩे में आखिर पुलिस सफल क्यों नहीं हो पा रही है। इसके पीछे मुख्यत: अपराधियों द्वारा अपने साथियों से सम्पर्क साधने के दौरान विदेशी नंबरों से की जा रही व्हाट्सएप कॉल है, जिन्हें ट्रेस कर पाना पुलिस के एंटी साइबर क्राइम सैल के लिए आसान नहीं है। यही वह कारण है कि गैंगस्टर की लोकेशन ढूंढना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।
पंजाब पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुके गैंगस्टर विक्की गोंडर की ही बात करें तो साफ हो जाता है कि नाभा जेल ब्रेककांड के मुख्य आरोपी गोंडर को जब पुलिस का सारा तंत्र ढूंढने में लगा था और वह गुरदासपुर में अपने साथियों ज्ञान सिंह खरलांवाला व अन्यों के साथ मिलकर विरोधी गुट के 3 व्यक्तियों को गोली या मारपीट से मौत के घाट उतारने उपरांत आसानी से फरार हो गया। शॉर्पशूटर सुक्खा काहलवां हत्याकांड के आरोपी गोंडर ने जेल से फरार होने के बाद आखिर किस तरह अपने साथियों से पुन: सम्पर्क साधा। यह सोचने की बात है।
पुलिस के सूत्रों की मानें तो बेहद शातिर गोंडर मोबाइल फोन का सीधा उपयोग न करके अपने करीबियों से व्हाट्सएप पर काल कर सम्पर्क बनाता है, क्योंकि वह जानता है कि व्हाट्सएप कॉल को ट्रेस नहीं किया जा सकता। सबसे खास बात तो विदेशी नम्बरों का मुख्यत: उपयोग करता है। यही हाल राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी में सक्रिय बड़े तस्करों का है। फिर चाहे वे आजाद हैं या फिर जेलों में बैठे अपना धंधा निरंतर चलाए हुए हैं। शातिर अपराधियों द्वारा विदेशी नम्बरों पर व्हाट्सएप कॉलिंग करके अपने साथियों को दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं।
अगर जेल में बंद गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया की बात करें तो वह भी मादक पदार्थों की तस्करी के धंधे में अपने पांव पसार चुका है। दूसरा राजा कंदोला, जोकि इस धंधे की बड़ी मछली है। बीते दिनों एस.टी.एफ. द्वारा किए गए खुलासे से साफ है कि ये शातिर अपराधी बाहर हों या फिर जेल में, इनको कोई फर्क नहीं पड़ता। इनका धंधा निरंतर चलता रहता है।
कहां से मिलते हैं विदेशी सिम
गैंगस्टर हों या फिर तस्कर इनके द्वारा पुलिस व साइबर सैल को चकमा देने के लिए विदेशी सिम कार्डों का जमकर उपयोग किया जा रहा है। इनके पास विदेशी सिम कहां से आते हैं। इस सवाल का जवाब देते हुए एस.टी.एफ. के एक अधिकारी ने बताया कि सीमा पार से हैरोइन अथवा कोकीन की खेप बॉर्डर के रास्ते जब पंजाब में भेजी जाती है तो उसके साथ विदेशी सिम अथवा हथियार की सप्लाई की जाती है। इन्हीं नम्बरों के एक्टीवेट होने पर सीमा पार के तस्कर अपने सम्पर्कों से तुरंत संबंध स्थापित कर लेते हैं। इन नम्बरों को ट्रेस कर पाना बेहद कठिन है, जिस कारण ये लोग कानून के पंजे से बचे रहते हैं।
दूसरे राज्यों के भी हैं सिम
इसके अलावा गैंगस्टरों द्वारा दूसरे राज्य में बैठे अपने साथियों से वहां के सिम लेकर उनका उपयोग पंजाब में किया जाता है।