पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की दया दृष्टि से चल रहे ज्यादातर ईंट भट्ठे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Oct, 2017 11:07 AM

most brick kilns running with the mercy of the punjab pollution control board

पंजाब में पहले से मंदी की मार झेल रहे भट्ठा उद्योग पर अब केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सी.पी. सी.बी.) की मार पडऩी शुरू हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की नई हिदायतानुसार पंजाब के सभी भट्ठे हाईटैक टैक्नोलॉजी/ ड्राफ्ट भट्ठा(जिग जैग) तकनीक...

संगरूर (बावा): पंजाब में पहले से मंदी की मार झेल रहे भट्ठा उद्योग पर अब केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सी.पी. सी.बी.) की मार पडऩी शुरू हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की नई हिदायतानुसार पंजाब के सभी भट्ठे हाईटैक टैक्नोलॉजी/ ड्राफ्ट भट्ठा(जिग जैग) तकनीक से ही चलाए जाएंगे ताकि ईंट भट्ठे के नजदीक इकट्ठी होने वाली धूल व ईंटों के भट्ठे की चिमनी में से निकलने वाले कच्चे काले धुएं से राज्य के लोगों को निजात दिलाई जा सके।

जानकारी के अनुसार पंजाब में करीब 2,000 से ज्यादा भट्ठे पुरानी तकनीक से चल रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्त हिदायतें होने के बावजूद पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जीरो हवा प्रदूषण तकनीक अपनाने के लिए भट्ठा मालिकों को जारी दिशा-निर्देशों के पालन को यकीनी बनाने में असफल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिला संगरूर में 217 के करीब ईंटें बनाने वाले भट्ठे को लाइसैंस जारी किए गए हैं, जिनमें से 35-40 भट्ठा मालिकों ने अपने भट्ठे को जीरो प्रदूषण करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा दिए दिशा-निर्देशों की पालना करनी शुरू कर दी है। बाकी भट्ठा पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की दया दृष्टि के सहारे चल रहे हैं। 

भट्ठा उद्योग सरकारी रहमो-कर्म के सहारे : माहिर
जिला संगरूर के कई भट्ठा मालिकों द्वारा केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पर अमल करते अपने-अपने भट्ठों को जिग जैग तकनीक से बनाना शुरू कर दिया है। जानकारी अनुसार एक भट्ठों को प्रदूषण रहित बनाने के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए 30 से 35 लाख रुपए का खर्चा आता है जिससे ईंटें पकाने के लिए आधुनिक तकनीक जिग जैग का प्रयोग किया जाएगा। पंजाब में आधुनिक तकनीक से ईंट पकाने के लिए जिग जैग भट्ठा तैयार करने वाली लेबर की बहुत कमी है जिस कारण भट्ठा मालिक आधुनिक तकनीक अपनाने के लिए सरकारी अधिकारियों के रहमो-कर्म पर पड़ा हुआ है। भट्ठा उद्योग के साथ जुड़े माहिरों का कहना है कि भट्ठा उद्योग को पहले ही करीब एक दर्जन सरकारी विभागों की भारी मार का सामना करना पड़ता है।  

उन्होंने कहा कि अब सरकार के नए दिशा-निर्देश लागू हो गए हैं जिससे आधे से ज्यादा भट्ठा पर बंद होने की तलवार लटक गई है। उन्होंने कहा कि भट्ठा मालिक चिमनियों में से निकलने वाले धुएं को रोकने का प्रयास करें या अपने उद्योग को सरकारी अधिकारियों से बचाएं।

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