कातिया डारनैंड छेडख़ानी केस 23 वर्ष बाद फिर खुलेगा!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Sep, 2017 11:37 AM

molestation case

23 वर्ष पहले प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा चंडीगढ़ में एक नौजवान फ्रांसीसी महिला को कथित तौर पर अगवा करके उसके साथ छेड़छाड़ किए जाने के

पटियाला(परमीत): 23 वर्ष पहले प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा चंडीगढ़ में एक नौजवान फ्रांसीसी महिला को कथित तौर पर अगवा करके उसके साथ छेड़छाड़ किए जाने के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने आज पंजाब सरकार और डी.जी.पी. पंजाब को नोटिस जारी करते हुए केस फिर खोलने का रास्ता साफ कर दिया है। 

वर्णनीय है कि फ्रांसीसी महिला कातिया डारनैंड जो उस समय 24 वर्ष की थी, को तब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर अगवा करके उसके साथ छेडख़ानी की गई थी। राष्ट्रीय महिला आयोग ने आज इस मामले में उसके पास केस खोलने के लिए पटीशन दायर होने के बाद इस पर कार्रवाई की है। यह पटीशन सामाजिक कार्यकत्र्ता और ई.डी.एम.सी. की स्टैंडिंग कमेटी की डिप्टी चेयरपर्सन बीबी गुरजीत कौर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपी गई जिसमें पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के महासचिव महेशइंद्र सिंह ग्रेवाल, दिल्ली के विधायक और दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के महासचिव मनजिंद्र सिंह सिरसा और सीनियर नेता परमिंद्र सिंह बराड़ भी शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन ललिता कुमार मंगलम से मांग की कि फ्रांसीसी नागरिक कातिया डारनैंड का केस फिर खोले जाने की जरूरत है क्योंकि घटना घटने के इतने वर्ष बाद भी उसको न्याय नहीं मिला जिसका उसके द्वारा लिखे खुले खत से पता चलता है जो एक अंग्रेजी अखबार द्वारा 14 अगस्त 2017 को प्रकाशित किया गया है।

यहां वर्णनीय है कि 1994 में कातिया ने उस समय के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते गुरकीरत सिंह कोटली जोकि अब खन्ना से कांग्रेसी विधायक हैं और उनके साथियों पर उसको अगवा करने, छेड़छाड़ करने और गैर-कानूनी तौर पर बंदी बना कर रखने का आरोप लगाया था। प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय महिला आयोग को बताया कि नौजवान लड़की के साथ बहुत अन्याय हुआ है क्योंकि उसको छेड़छाड़ केस में अपने साथ हुई ज्यादती बारे कहने का मौका नहीं मिला क्योंकि इस केस में इंडियन नैशनल कांग्रेस के प्रमुख नेता का नाम था। आयोग को यह भी बताया गया कि जब घटना घटी थी तो पीड़िता ने धारा 164 सी.आर.पी.सी. के अंतर्गत मैजिस्ट्रेट के पास अपने बयान दर्ज करवाए थे और एक शिनाख्ती परेड भी हुई जिसमें पीड़िता ने मुजरिम को पहचान लिया था। चेयरपर्सन ललिता कुमार मंगलम ने कहा कि वह केस को इसके तर्कसंगत नतीजे तक लेकर जाएंगे और उन्होंने पंजाब सरकार और डी.जी.पी. पंजाब को नोटिस जारी करने का फैसला किया। बाद में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने कहा कि वह आयोग के जवाब से संतुष्ट हैं और आशा है कि जल्दी ही केस में न्याय मिलेगा और कानून अपना काम करेगा। उन्होंने पीड़िता को न्याय मिलने तक काम करते रहने का प्रण भी लिया। 

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