Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 10:15 AM
ड्रग मामले में एस.एस.पी. मोगा राज जीत सिंह हुंदल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) के हैड ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू द्वारा उन्हें ड्रग केस में फंसाए जाने का अंदेशा जताया है।
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): ड्रग मामले में एस.एस.पी. मोगा राज जीत सिंह हुंदल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) के हैड ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू द्वारा उन्हें ड्रग केस में फंसाए जाने का अंदेशा जताया है। ऐसे में मांग की गई है कि एन.डी.पी.एस., आम्र्ज एक्ट, आपराधिक साजिश रचने व अन्य धाराओं में पुलिस स्टेशन, एस.टी.एफ. मोहाली में 12 जून, 2017 को दर्ज केस की जांच हरप्रीत सिंह सिद्धू से लेकर किसी अन्य अफसर से करवाई जाए। वर्तमान में सिद्धू इस केस की जांच कर रहे हैं।
गत 28 नवम्बर को हाईकोर्ट द्वारा ड्रग मामले की सुनवाई के दौरान एफ.आई.आर. एस.टी.एफ. के ए.डी.जी.पी. को जांच के लिए सौंपी गई थी। हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए 15 दिसम्बर के लिए सरकार को नोटिस जारी किया है। वहीं केस की सुनवाई के दौरान ए.जी. ने कोर्ट को कहा कि वह 6 ऑफिसर्ज का पैनल दे देंगे जिस पर कोर्ट ने कहा कि पहले मामले में एमिक्स क्यूरी अनुपम गुप्ता से इस पर विचार-विमर्श करे। साथ ही कहा कि प्राथमिकता ए.डी.जी.पी. रैंक के अफसरों को दें। एस.एस.पी. राज जीत ने कहा है कि उनका संबंधित एफ.आई.आर. से कुछ लेना-देना नहीं है। 20 नवम्बर को मामले में चालान पेश किया गया था जिसमें न तो वह आरोपी थे और न ही गवाह।
एस.एस.पी. ने कहा है कि उन्हें पता चला है कि रिटा. डी.एस.पी. जसवंत सिंह को बहकाया जा रहा है ताकि उन्हें मामले में फंसाया जा सके। इसे एस.टी.एफ. चीफ एच.एस. सिद्धू का प्रयास बताया गया है। एस.एस.पी. राज जीत ने कहा कि उन्हें अंदेशा है कि आरोपी जसवंत सिंह व इंद्रजीत सिंह को एस.टी.एफ. हैड मजबूर कर रहे हैं ताकि उनके खिलाफ कोई साक्ष्य तैयार कर सकें।
डी.जी.पी. भी कर चुके हैं स्वतंत्र एजैंसी से जांच की सिफारिश
एस.एस.पी. राज जीत सिंह ने एस.टी.एफ. हैड के आचरण को लेकर एडीशनल चीफ सैक्रेटरी (होम डिपार्टमैंट) को भी अपना मांगपत्र दिया था कि संबंधित एफ.आई.आर. की जांच किसी स्वतंत्र एजैंसी से करवाई जाए।
एस.टी.एफ. हैड पर आरोप लगाए गए हैं कि वह अर्जीकत्र्ता एस.एस.पी. को मनगढ़ंत बयानों के आधार पर फंसाना चाहते हैं। एडीशनल चीफ सैक्रेटरी ने इस मांगपत्र को डी.जी.पी. को मार्क कर दिया था। डी.जी.पी. ने अपनी सिफारिश में कहा था कि यह उचित होगा यदि संबंधित एफ.आई.आर. की जांच किसी स्वतंत्र एजैंसी से करवाई जाए ताकि स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।