महानगर में नहीं थम रहे नाबालिग लड़कियों को अगवा करने के मामले

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 11:08 AM

missing minor girls

महानगर में हवस में अंधे आरोपियों द्वारा छोटी उम्र की लड़कियों को बहला-फुसलाकर अगवा कर ले जाने व फिर उनसे दुष्कर्म करने की

लुधियाना(पंकज): महानगर में हवस में अंधे आरोपियों द्वारा छोटी उम्र की लड़कियों को बहला-फुसलाकर अगवा कर ले जाने व फिर उनसे दुष्कर्म करने की घटनाएं थमती नजर नहीं आ रही हैं। टीन एज में अपना बुरा-भला न समझने वाली बच्चियों को अपने जाल में फंसाकर भगा ले जाने वाले आरोपियों द्वारा या तो इन बच्चियों का शारीरिक शोषण कर छोड़ दिया जाता है या फिर इन्हें बड़े शहरों में चल रहे वेश्यावृत्ति के अड्डों पर बेच दिया जाता है।वीरवार को घर से भागी नाबालिगा ने घर पहुंचकर बताया कि उसे भगा ले जाने वाले आरोपी ने उसे शादी का झांसा दिया। उसकी बातों में आकर वह परिवार को छोड़कर उसके साथ भाग तो निकली परंतु आरोपी ने उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाकर धोखे से उसे छोड़ दिया व खुद भाग गया। पुलिस अभी इस मामले की जांच शुरू करने की तैयारी में थी कि 2 और परिवारों की नाबालिग लड़कियों के अगवा होने की घटनाएं हो गईं। 

करीबी रिश्तेदार ही हैं आरोपी 
पहला मामला ग्यासपुरा का है, जहां अपने परिवार संग रहने वाले बाबू राम की नाबालिग बेटी को कोई और नहीं, उसके साले का लड़का आशीष कुमार बहला-फुसलाकर भगा ले गया, जोकि करीबी रिश्तेदार होने के कारण अक्सर उनके घर में आता रहता था व परिवार भी उस पर काफी विश्वास करता था। पीड़ित पिता ने कहा कि अभी उसकी बेटी बालिग भी नहीं हुई थी कि आरोपी ने उनके परिवार व रिश्तों को शर्मसार करते हुए घिनौनी घटना को अंजाम दे दिया। वहीं, दूसरी घटना कटानी कलां निवासी महिला मीता पत्नी जिकर के साथ घटी। 5 सितम्बर को आरोपी इंद्रजीत सिंह जोकि बरोटा रोड का रहने वाला है, उसकी नाबालिग लड़की को अगवा कर ले गया। लड़की के गायब होने पर पहले तो परिवार उसे ढूंढता रहा परंतु बाद में उन्हें पता चला कि उनकी बेटी को अगवा कर लिया गया है। 

टीन एज बच्चों का रखें खास ध्यान 
दरअसल, टीन एज ऐसा समय होता है, जब लड़की हो या लड़का उनके हार्मोन्स में जहां बदलाव आना शुरू हो जाता है, वहीं इस उम्र में बच्चे अपना फायदा या नुक्सान समझने की हालत में नहीं होते। ज्यादातर ऐसी घटनाएं उन परिवारों में घटती हैं, जहां बच्चों खासकर लड़कियों पर अभिभावक ज्यादा सख्ती करते हैं। ऐसे में उन्हें ऐसा दोस्त चाहिए होता है, जिसे वे अपने दिल की बात बता सकें। यही वह मुख्य कारण है, जिसका फायदा शरारती दिमाग का व्यक्ति उठाता है व लड़कियों को विश्वास में लेकर अपनी मंशा पूरी कर लेता है। यही वजह है कि 13 से लेकर 19 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के साथ अभिभावकों को न सिर्फ दोस्ताना व्यवहार बनाकर रखना चाहिए।

रिश्तेदार या पड़ोसी उठाते हैं फायदा 
टीन एज में जिन बच्चों का अपने अभिभावकों संग दोस्ताना रिश्ता नहीं होता, उनका फायदा करीबी रिश्तेदार अथवा पड़ोसी उठाते हैं, क्योंकि उसके पास पल-पल की जानकारी होती है। पुलिस रिकार्ड में भी कम उम्र की लड़कियों को अगवा करके ले जाने वाले या तो करीबी रिश्तेदार हैं या फिर पड़ोसी। 

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