Edited By Updated: 27 Feb, 2017 08:28 AM
ब्लाक ममदोट का गांव पोजोके उताड़, जहां के दो परिवार बस एक ही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि 28 साल पहले पाकिस्तान गए उनके घर के परिजन कब वापस लौटेंगे और लंबे अरसे से गायब हुई खुशियां कब उनके घर वापस लौटेंगी। जब भी वह कहीं टैलीविजन या अखबारों में दूसरे की...
ममदोट (संजीव): ब्लाक ममदोट का गांव पोजोके उताड़, जहां के दो परिवार बस एक ही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि 28 साल पहले पाकिस्तान गए उनके घर के परिजन कब वापस लौटेंगे और लंबे अरसे से गायब हुई खुशियां कब उनके घर वापस लौटेंगी। जब भी वह कहीं टैलीविजन या अखबारों में दूसरे की वतन वापसी बारे खबरें सुनते हैं तो उनके मन में कई उम्मीदें फिर जाग पड़ती हैं। 28 साल पहले पाकिस्तान गए महेन्दर सिंह की पत्नी विद्दो बीबी ने अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाते बताया कि पाकिस्तान की जासूसी के लिए भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजैंसियों द्वारा उसके पति को अक्सर ही सरहद के पार भेजा जाता रहा परन्तु तीन से चार बार भेजने के बाद आखिरी बार वह वापस ही नहीं लौटा। बार-बार संपर्क पर उनके खुफिया एजैंसियां की तरफ से यही भरोसा मिलता रहा कि वह जल्दी ही वापस लौट आएगा।
जिंदगी का दर्द बताते उसने बताया कि बड़ा बेटा 5 वर्ष और बाकी तीन बेटे काफी छोटे थे, जब उसके पति उनसे जुदा हो गए। ससुराल की तरफ से साथ छोड़ देने पर वह मेहनत-मजदूरी करके बहुत मुश्किल से अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही है। उधर, इसी गांव की एक और घर की महिला बीबी नानको ने भी बताया कि उसका देवर कश्मीर सिंह भी 25 साल पहले सरहद से पार भेजा था परन्तु अभी तक उसका कोई अता-पता नहीं लगा। जिंदगी की पीड़ा को उभारते दोनों घरों के पारिवारिक सदस्यों ने कहा है कि घर में किसी भी खुशी या गमी के मौके पर अक्सर ही अधूरापन महसूस होता है कि काश! घर में परिवार के सिर पर किसी बड़े का हाथ होता। पीड़ित परिवारों ने भारतीय गृह मंत्रालयों और विदेश मंत्री से मांग की है कि उनके के पारिवारिक सदस्यों की खोज-खबर करके वतन वापसी लाने में सहायता की जाए ।