Edited By Updated: 22 Mar, 2017 12:21 PM
बरनाला नाइट शैल्टर (रैन बसेरा) में ताला ही लगा रहता है। बेशक पंजाब सरकार ने बरनाला नगर कौंसिल के लिए 33 लाख रुपए खर्च करके 50&50 के हाल, किचन, बाथरूम का निर्माण किया था।
बरनाला (विवेक सिंधवानी, गोयल): बरनाला नाइट शैल्टर (रैन बसेरा) में ताला ही लगा रहता है। बेशक पंजाब सरकार ने बरनाला नगर कौंसिल के लिए 33 लाख रुपए खर्च करके 50&50 के हाल, किचन, बाथरूम का निर्माण किया था। पहले यह रैन बसेरा सैनेटरी कार्यालय के नजदीक बनाया गया था। फिर वहां से इसलिए शिफ्ट कर दिया गया था कि दूर होने के कारण यहां रैन बसेरे के लिए कोई नहीं आता था। अब शहर के बिल्कुल बीच रैन बसेरा बन गया है परंतु सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते व अधिकारियों की बेरुखी के कारण इसे भी ताला लगा रहता है और सरकार की ओर से 33 लाख रुपए की राशि भी बेकार सिद्ध हो रही है।
बोर्ड लगाकर हमने निभाई अपनी जिम्मेदारी : ई.ओ.
नगर कौंसिल के ई.ओ. गुरदर्शन सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमने बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन व अन्य स्थानों पर रैन बसेरे में रहने के लिए बोर्ड लगाए हुए हैं व अधिकारियों के नंबर भी उन पर दिए गए हैं। इसके बावजूद भी लोग रैन बसेरे में रहने के लिए नहीं आ रहे। जिस कारण रैन बसेरे को ताला लगाया हुआ है। यदि कोई रैन बसेरे में रहने के लिए आएगा तो चाबी नगर कौंसिल के कर्मचारी के पास होती है, फौरी तौर पर रैन बसेरे को खोल दिया जाएगा। हमने तो शहर में बोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभा दी है।
अधिकारी खुद जाकर करें बेघर लोगों को रैन बसेरे में रहने के लिए जागरूक
समाज सेवी एडवोकेट राजीव गुप्ता ने कहा कि जो लोग खुले आसमान के नीचे सोते हैं वे ज्यादातर अनपढ़ होते हैं। उनको रैन बसेरे की कोई जानकारी नहीं होती। इसलिए वे लोग खुले आसमान तले सोते हैं। नगर कौंसिल के अधिकारियों को खुद जाकर जो लोग खुले आसमान के नीचे सोते हैं उनको रैन बसेरे संबंधी जानकारी देनी होती है कि आप लोगों के लिए रैन बसेरे का निर्माण किया गया है। फिर देखें किस प्रकार खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोग रैन बसेेरे में रहते हैं व रैन बसेरे का ताला खुलताहै।
सैंकड़ों लोग सोते हैं खुले आसमान तले
सुप्रीम कोर्ट ने देश में सभी राज्यों की सरकारों को ये निर्देश दिए हुए हैं कि कोई भी व्यक्ति नगर कौंसिल की सीमा में खुले आसमान के नीचे न सोए इसलिए रैन बसेरों का निर्माण किया जाए परंतु बरनाला-शैहणा में रात को सैंकड़ों ही व्यक्ति खुले आसमान तले सोते हैं। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अनाज मंडी व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सैंकड़ों ही स्त्री, पुरुष व अन्य छोटे बच्चे खुले आसमान के नीचे सोते हैं। जिनकी ओर प्रशासन का कोई ध्यान ही नहीं जाता। गत वर्ष तो अनाज मंडी में सोए हुए एक व्यक्ति की ट्रक के नीचे आने से मौत हो गई थी। फिर भी प्रशासन इस समस्या प्रति गंभीर नहींं है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी धज्जियां उड़ रही हैं।