Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 10:27 AM
डी.ए.सी. (डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन काम्प्लैक्स) जिसे मिन्नी सचिवालय भी कहा जाता है, में रोजना सैंकड़ों की गिनती में लोग दूर-दराज के इलाकों से अपने-अपने काम करवाने के लिए आते हैं। जिस बिल्डिंग में जिले के आला अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठकर कई...
जालंधर(अमित): डी.ए.सी. (डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन काम्प्लैक्स) जिसे मिन्नी सचिवालय भी कहा जाता है, में रोजना सैंकड़ों की गिनती में लोग दूर-दराज के इलाकों से अपने-अपने काम करवाने के लिए आते हैं। जिस बिल्डिंग में जिले के आला अधिकारी अपने दफ्तरों में बैठकर कई महत्वपूर्ण काम निपटाते हैं उसकी ग्राऊंड फ्लोर के अतिरिक्त तीन मंजिलें हैं। अलग-अलग सरकारी दफ्तरों में जाने के लिए आम जनता के पास सीढिय़ों के अतिरिक्त केवल लिफ्ट का ही सहारा है। कई साल पुरानी यह लिफ्ट अपनी मर्जी की मालिक है और पिछले कई सालों से यह प्रशासन की एक नहीं सुनती।
जब इसका मन करता है तो यह चलती है वर्ना जनता को मजबूरीवश सीढिय़ों द्वारा ही ऊपरी मंजिलों पर जाना पड़ता है। सुनने में शायद अजीब लगता है कि लिफ्ट अपनी मर्जी की मालिक कैसे हो सकती है। मगर हकीकत यही है, क्योंकि महीने में अगर छुट्टियों के दिन निकाल दिए जाएं तो औसतन 20 दिन से अधिक दफ्तर नहीं खुलते। मगर 5 से 6 दिन लिफ्ट हर हाल में बंद ही रहती है। इसके पीछे असली कारण है, इसका कई साल पुराना होना और इसका सही रख-रखाव न किया जाना। मैंटीनैंस के नाम पर इसके ऊपर कई बार पैसे खर्च किए जा चुके हैं, मगर समस्या के स्थाई समाधान को लेकर प्रशासन के किसी अधिकारी ने गंभीरता से नहीं सोचा, जिसका परिणाम है कि डी.ए.सी. में आने वाले विकलांग, बीमार, बुजुर्ग व महिलाओं के लिए लिफ्ट खराब होने की सूरत में ऊपरी मंजिलों पर स्थित दफ्तरों में जाना किसी जंग जीतने के बराबर हो जाता है।
यहां वर्णनीय है कि कुछ साल पहले लिफ्ट की खराबी के कारण एक बुजुर्ग को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी। मगर प्रशासन की तरफ से आज तक इसकी खराबी का स्थाई समाधान करवाने की तरफ कोई विशेष ध्यान ही नहीं दिया जा सका। वीरवार को भी लिफ्ट काफी देर तक खराब रही, जिसकी वजह से कई बुजुर्गों व विकलांगों को ऊपरी मंजिलों पर जाने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा।