Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 11:08 AM
केन्द्र सरकार की डिजीटल इंडिया मुहिम को ब्रेक लगती नजर आ रही है। यूनीक आइडैंटीफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया (यू.आई.डी.ए.आई.) की देखरेख में आधार कार्ड बनाने तथा संशोधन करने के लिए सर्टीफाइड किए गए निजी ग्राम सुविधा केन्द्रों में कार्य कर रहे...
अजीतवाल (ग्रोवर): केन्द्र सरकार की डिजीटल इंडिया मुहिम को ब्रेक लगती नजर आ रही है। यूनीक आइडैंटीफिकेशन अथारिटी आफ इंडिया (यू.आई.डी.ए.आई.) की देखरेख में आधार कार्ड बनाने तथा संशोधन करने के लिए सर्टीफाइड किए गए निजी ग्राम सुविधा केन्द्रों में कार्य कर रहे लाखों सुपरवाइजरों व आप्रेटरों से आधार कार्ड बनाने तथा संशोधन करने की 18 अक्तूबर से सभी शक्तियां छीन ली गई हैं, जिससे शहर तथा गांवों में एक तरह से आधार कार्ड बनाने तथा ठीक करने का कार्य बंद हो गया है। आधार कार्ड गुम हो जाने तथा नया प्राप्त करने के लिए पहले आधार कार्ड को दुकान पर जाकर आसानी से प्राप्त किया जाता था, लेकिन अब केन्द्र सरकार ने 8 नवम्बर से यह सुविधा भी छीन ली है।
आधार कार्ड बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों पर लगाई थी रोक
जानकारी मुताबिक पूरे भारत में यू.आई.डी.ए.आई. के अंतर्गत अलग-अलग प्राइवेट तथा सरकारी कंपनियों द्वारा लाखों की गिनती में आप्रेटर आधार कार्ड बनाने का कार्य कर रहे थे। इस वर्ष इससे जुड़े आप्रेटरों तथा सुपरवाइजरों को सी.एस.सी. (कामन सॢवस सैंटर) एजैंसी द्वारा यू.आई.डी.ए.आई. से अपनी मशीनें रजिस्टर्ड करवाने के लिए प्रेरित किया गया था, लेकिन 18 अक्तूबर को यू.आई.डी.ए.आई. ने आधार का कार्य करने के लिए सरकारी इमारतों में बैठकर कार्य करने के आदेश दे दिए।बेशक ऐसा फैसला सरकार की ओर से कुछ आप्रेटरों के खिलाफ आधार कार्ड बनाने के बदले आम नागरिकों से मनमर्जी से पैसे लेने की आ रही शिकायतों को ध्यान में रखकर किया गया।
यू.आई.डी.ए.आई. ने पहले आधार कार्ड बनाने के लिए 30 सितम्बर तक का दिया था समय
केन्द्र सरकार ने यह सब कुछ इसलिए किया है ताकि आप्रेटर अपनी जद्दी दुकानें छोड़कर सरकारी इमारतों में बैठकर ही कार्य कर सकें, लेकिन सरकारी इमारतों या दफ्तरों में बैठकर कार्य करने की मंजूरी लेना प्रत्येक आप्रेटर के वश की बात नहीं है। बेशक यू.आई.डी.ए.आई. ने पहले यह कार्य करने के लिए 30 सितम्बर, 2017 तक का समय ही आप्रेटरों को दिया था, लेकिन कुछ आप्रेटरों ने लोगों की सहूलियत को मुख्य रखते यह कार्य करना जारी रखा, लेकिन यू.आई.डी.ए.आई. ने 18 अक्तूबर को इन आप्रेटरों की मशीनें बंद कर दीं।
क्या कहना है आप्रेटरों का
आप्रेटरों का कहना है कि आधार सैंटर लगाने के लिए एक लाख से लेकर 3 लाख तक खर्चा आ जाता है, लेकिन जो केन्द्र सरकार की ओर से नया आधार कार्ड बनाने के लिए तकरीबन 50-60 रुपए आप्रेटर को दिए जाते हैं, वह रास्ते की बिचौला कंपनियां ही हड़प जाती हैं।
इस कारण आप्रेटर को अपना हुआ खर्चा तथा दुकान का खर्चा निकालने के लिए आम लोगों से पैसे लेकर ही टाइम पास करना पड़ता है, लेकिन सरकार के इस तुगलकी फरमान ने जहां लाखों रोजगार छीनकर चूल्हे ठंडे कर दिए हैं, वहीं आम लोगों को सीमित रह चुके आधार केन्द्रों में कई-कई दिन लाइनों में लगकर आधार कार्ड बनाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण आम लोग मोदी सरकार के खिलाफ अपनी भड़ास निकालते भी आम नजर आ रहे हैं।