Edited By Updated: 17 Dec, 2016 08:56 AM
1971 के युद्ध में पाकिस्तान को शिकस्त देने के लिए मनाए जाते विजय दिवस के उपलक्ष्य में आल इंडिया फौजी भाईचारा एसोसिएशन के पंजाब प्रधान
जालंधर (पुनीत): 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को शिकस्त देने के लिए मनाए जाते विजय दिवस के उपलक्ष्य में आल इंडिया फौजी भाईचारा एसोसिएशन के पंजाब प्रधान ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलों ने स्टेट वार मैमोरियल में शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके ब्रिगेडियर काहलों ने कहा कि जब भी दुश्मन ने भारत को सरहद पर ललकारा है तो देश की हथियारबंद सेनाओं ने उसे मुंह तोड़ जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी को बरकरार रखने के लिए जितनी भी जंगें भारत ने लड़ी हैं उसमें सबसे अधिक कुर्बानियां पंजाबियों ने दी हैं। बेहिसाब बहादुरी पुरस्कार भी पंजाबियों के सीने की शोभा बढ़ाते हैं। इसके बावजूद फौजियों की बहादुर विधवाओं को कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
ब्रिगेडियर ने कहा कि पंजाब में कुल 67,461 फौजी विधवाएं हैं इनमें से 1009 जंगी शहीदों की पत्नियां हैं, राज्य में 5 लाख पूर्व फौजी मौजूद हैं, विधवाओं को छोटे-छोटे बच्चों के साथ खासी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि पति की मौत के बाद विधवा की पैंशन कम हो जाती है जबकि खर्चे व परेशानियां बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चाहिए कि फौजियों की विधवाओं को पूरी पैंशन दी जाए और इस बात को केन्द्र सरकार तुरंत लागू करे। ब्रिगेडियर ने कहा कि नोटबंदी के बीच पैंशन लेने के लिए फौजियों की विधवाओं को भारी ठंड में लाइनों में लगना पड़ता है इसलिए बैंकों में फौजियों की पैंशन हेतु अलग काऊंटर लगाए जाएं। उन्होंने कहा कि 7वें पे कमीशन में फौजियों को सहूलतें देने के प्रति ध्यान नहीं दिया गया, जस्टिस रैड्डी की सिफारिशें ठंडे बस्ते में पड़ी हैं।