Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 09:48 AM
बेशक सत्ता का सुख भोग रही कांग्रेस सरकार सरकारी स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने के लाख दावे कर रही है, लेकिन हकीकत तो यह है
लुधियाना(विक्की): बेशक सत्ता का सुख भोग रही कांग्रेस सरकार सरकारी स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती प्रदान करने के लाख दावे कर रही है, लेकिन हकीकत तो यह है कि सरकार के पास विद्यार्थियों को देने के लिए मिड-डे मील का फंड भी नहीं है। यही वजह है कि पिछले 2 माह से सरकारी मिड-डे मील अध्यापकों की जेब को ढीली करके बन रहा है, क्योंकि पिछले 2 महीने से सरकारी स्कूलों में इसके लिए कोई फंड नहीं भेजा गया है। लुधियाना में ही अकेले 1.5 लाख के करीब स्टूडैंट्स हैं, जिन्हें रोजाना मिड-डे मील दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई मिड-डे मील योजना के तहत 60 प्रतिशत फंड केन्द्र सरकार और 40 प्रतिशत फंड राज्य सरकार को देना होता है। सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर मिडल कक्षा तक यह योजना पिछले लंबे समय से चल रही है, जिसमें प्रतिदिन आधी छुट्टी के समय 8वीं कक्षा तक के बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है।
लुधियाना के 1500 स्कूलों में चल रहा मिड-डे मील
लुधियाना में करीब 1500 प्राइमरी व मिडल स्कूलों में मिड-डे मील चल रहा है, जिसमें प्राइमरी तक करीब 90 हजार और मिडल तक करीब 62 हजार विद्यार्थी रोजाना मिड-डे मील खाते हैं। विभाग के पास एक महीने के फंड पहुंच चुके हैं, जिन्हें जल्द ही स्कूलों को रिलीज कर दिया जाएगा। ई.टी.यू. पंजाब के मैम्बर सर्बजीत सिंह ने बात करने पर कहा कि बेशक तकनीकी कारणों के चलते फंड लेट हो जाते हैं लेकिन सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे स्कूलों के पास मिड-डे मील के फंड एडवांस में जमा हों।
45 हजार तक माइनस में पहुंचा स्कूलों का अकाऊंट
बात अगर लुधियाना की करें तो यहां पर मिड-डे मील के फंड अंतिम बार जुलाई माह में आए थे, जिसके बाद कोई भी फंड सरकार की ओर से रिलीज नहीं किया गया। स्कूल अध्यापकों की मानें तो मिड-डे मील का फंड अपै्रल से ही माइनस में चल रहा है। अब हालात यह हो चुके हैं कि जिस स्कूल में 300 के करीब स्टूडैंट्स को मिड-डे मील दिया जा रहा है, उस स्कूल में 45 हजार रुपए के करीब फंड माइनस में है।
उधार ला रहे राशन व नकद खरीद रहे सब्जियां
हालांकि स्कूल अध्यापकों द्वारा करियाना की दुकानों से राशन तो उधार लेना पिछले 2 महीने से जारी रखा है, जबकि सब्जियों व अन्य सामान के पैसे अध्यापक स्वयं अपनी जेब से खर्च कर नकद खरीद रहे हैं। कई स्कूलों के अध्यापकों का कहना है कि पिछले दिनों तो उनकी सैलरी भी नहीं आई थी तो ऐसे में अपनी जेब से मिड-डे मील के लिए खर्च करना, उन्हें बेहद मुश्किल काम लग रहा था।