Edited By Updated: 26 Apr, 2017 11:39 AM
आए दिन कोई न कोई घटना महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों प्रति अहसास दिला ही जाती है। डिजीटल व मेक इन इंडिया के युग में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। नारी समाज के प्रति घटी किसी आपराधिक घटना के तुरंत बाद सामाजिक संस्थाओं की ओर से खूब हो-हल्ला मचाया...
पठानकोट(शारदा): आए दिन कोई न कोई घटना महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों प्रति अहसास दिला ही जाती है। डिजीटल व मेक इन इंडिया के युग में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। नारी समाज के प्रति घटी किसी आपराधिक घटना के तुरंत बाद सामाजिक संस्थाओं की ओर से खूब हो-हल्ला मचाया जाता है। सरकार तथा प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई किए जाने के आश्वासन भी दिए जाते हैं परन्तु समय बीतते ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। मानवीय जिंदगी फिर से पुराने ढर्रे पर आ जाती है।
अति व्यस्ततम गुरदासपुर रोड पर भी इन दिनों से मैले-कुचैले कपड़ों वाली महिला पिछले कई दिनों से सड़क पर ही अपने दिन विषमताओं से जूझते हुए काट रही है। सड़क के बीचों-बीच बना डिवाइडर ही उसके दिन-रात का बसेरा है। कई बार तो हादसे का शिकार होने का खतरा भी उसे बना रहता है। महिला लोगों द्वारा कूड़े के ढेर पर फैंके जाने वाले खाद्य पदार्थों को तलाश कर व खा कर किसी प्रकार अपने पेट की आग को ठंडा करने का हरसंभव प्रयास कर रही है, इसके बाद भी न तो कोई सामाजिक संगठन व न ही कोई नारी उत्थान के कार्यों से जुड़ी महिला संस्था इसका हाथ पकडऩे व सहारा देने के लिए अब तक आगे आई है।