दुकानें बंद होने के बाद अब ‘झोलों’ में बिकने लगा पंजाब में मैडीकल नशा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 01:18 PM

medical drug addiction in punjab in bags

पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नशे को लेकर गठित स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) के काम को सरकार की ओर से काफी सराहना मिल रही है। राज्य में हैरोइन (चिट्टा), अफीम व भुक्की के लगातार बढ़ रहे रेट्स नशे पर लगाम लगाने के दावे की पुष्टि करते हैं।

चंडीगढ़: पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नशे को लेकर गठित स्पैशल टास्क फोर्स (एस.टी.एफ.) के काम को सरकार की ओर से काफी सराहना मिल रही है। राज्य में हैरोइन (चिट्टा), अफीम व भुक्की के लगातार बढ़ रहे रेट्स नशे पर लगाम लगाने के दावे की पुष्टि करते हैं। हालांकि, चुनाव से पहले किए वायदों के मुताबिक एस.टी.एफ. ने अभी तक किसी बड़ी मछली को नहीं पकड़ा है  लेकिन नशा तस्करी के छोटे-बड़े मामलों में कार्रवाई जरूर की है। एस.टी.एफ. का खौफ भले ही असर दिखा रहा है, लेकिन राज्य में पैरलल नैटवर्क खड़ा होना शुरू हो गया है।

पंजाब के ड्रग डीलर्स की सप्लाई लाइन बाधित करने की नीति पर काम कर रही एस.टी.एफ. के सामने अब नई चुनौती उभरने लगी है। पाकिस्तान से सटे अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर की तरफ से बल्क सप्लाई पर लगातार धर-पकड़ के बाद रूट्स में बदलाव दिखने लगा है। अब ड्रग्स की आपूॢत के लिए दिल्ली महानगर केंद्र बन रहा है। वहां से छोटी-छोटी मात्रा में ड्रग्स की पंजाब में सप्लाई होने लगी है, लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि दिल्ली में ड्रग्स की सप्लाई किस रूट से हो रही है। हाल ही में लुधियाना पुलिस ने ऐसे एक नैटवर्क का भंडाफोड़ किया था लेकिन ड्रग्स की रिकवरी के अलावा कुछ खास जानकारी नहीं हासिल हो पाई। 

बिना पर्ची के ही कैमिस्ट दे देते हैं दवा 
ट्रैमाडॉल की बिक्री सिर्फ डॉक्टर की पर्ची पर ही होने का प्रावधान है, लेकिन अत्याधिक मांग के चलते यह दवा कैमिस्ट शॉप्स पर ही उपलब्ध करवा दी जाती है। जानकार घूम-फिरकर भी सप्लाई ग्राहकों तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं। इनमें वे कैमिस्ट भी शामिल हैं जिनके अनियमितताओं के चलते लाइसैंस सस्पैंड या रद्द हो चुके हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एन.सी.बी.) नए ट्रैंड पर नजर बनाए हुए है, लेकिन कानूनी तौर पर हाथ बंधे होने की वजह से अधिकारी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। 

नशे के नैटवर्क को खत्म करना लक्ष्य: डी.जी.पी.
पंजाब पुलिस के डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा का कहना है कि ड्रग्स के खिलाफ नीति स्पष्ट है। ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू की अगुवाई में एस.टी.एफ. बढिय़ा काम कर रही है। नशे की लत में पड़े लोगों को पकड़ कर आंकड़े बढ़ाने की बजाय सौदागरों तक कडिय़ां जोड़ी जा रही हैं। उन्हें दबोचा जा रहा है। बाहर से आने वाली खेप की सप्लाई लाइन को भी तोड़ दिया गया है। बाहरी राज्यों में जाकर छिपे नशे के कारोबारियों की भी सूचनाएं जुटाई जा रही हैं ताकि उन्हें पकड़ा जा सके। पंजाब पुलिस का लक्ष्य राज्य में नशे व नशे के कारोबारियों को खत्म करना ही है।

चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई थी बड़ी कार्रवाई
पंजाब में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कोड ऑफ कंडक्ट के समय आयोग ने नशे की सप्लाई को लेकर विशेष ध्यान दिया था। एन.सी.बी. को नोडल एजैंसी के तौर पर इस्तेमाल करते हुए सभी जिलों में स्वास्थ्य विभाग के ड्रग इंस्पैक्टर्स को टीमों के साथ तैनात किया गया। नतीजा यह निकला कि 29 दिसंबर, 2016 से 8 जनवरी, 2017 के दौरान छापामारी के दौरान कैमिस्ट शॉप्स व झोलाछाप डॉक्टरों से ट्रैमाडॉल की 78042 गोलियां, 3399 कैप्सूल्स और 385 इंजैक्शन कब्जे में लिए गए। हालांकि सभी मामलों में ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक्स एक्ट के तहत ही कार्रवाई की गई, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि नियमों को अनदेखा कर ट्रैमाडॉल की आपूर्ति के लिए कैमिस्ट और झोलाछाप डॉक्टरों का नैटवर्क काम कर रहा है।

एन.सी.बी. के जोनल डायरैक्टर डा. कौस्तुभ शर्मा का कहना है कि पूरे राज्य में नशेडिय़ों और नशा बेचने वालों का रुझान ट्रैमाडॉल और बुप्रोनॉरफिन की तरफ है। पुलिस व अन्य एजैंसियों की सख्ती के चलते हैरोइन, अफीम, भुक्की जैसे नशों की सप्लाई बाधित हुई है जिससे इन फार्मास्युटिकल ड्रग्स की मांग बढ़ गई है। एन.डी.पी.एस. एक्ट के दायरे से बाहर होने के कारण इन्हें बेचने या रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का अभाव है। उन्होंने बताया कि ब्यूरो के डायरैक्टर जनरल राजीव राय भटनागर ने ट्रैमाडॉल की तरफ बढ़ रहे रुझान संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष मामला उठाया था। ट्रैमाडॉल व बुप्रोनॉरफिन जैसी अन्य ड्रग्स को एन.डी.पी.एस. एक्ट के अधीन लाने की मांग भी की गई है। डा. शर्मा ने पंजाब पुलिस की एस.टी.एफ. की नीति की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में नशे की सप्लाई और खपत दोनों पर असर पड़ा है। एन.सी.बी. के डमी कस्टमर्स को डीलर या तो सप्लाई में देरी की बात कहकर टाल रहे हैं या फिर बाहरी राज्यों में जाने की बात कहते हैं।
 

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