Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 11:00 AM
आतंकवाद के काले दिनों के दौरान मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल में बी.एस.एफ. और सी.आर.पी.एफ. के जवान तैनात होते थे। लगभग 26 साल पहले जेल ब्रेक करने का प्रयत्न करते 2 आतंकियों को बी.एस.एफ. ने मार दिया था। यह जेल हमेशा ही खुफिया एजैंसियों की कथित नालायकी के...
नाभा(जैन): आतंकवाद के काले दिनों के दौरान मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल में बी.एस.एफ. और सी.आर.पी.एफ. के जवान तैनात होते थे। लगभग 26 साल पहले जेल ब्रेक करने का प्रयत्न करते 2 आतंकियों को बी.एस.एफ. ने मार दिया था। यह जेल हमेशा ही खुफिया एजैंसियों की कथित नालायकी के कारण विवादों में घिरी रही।जेल में चलते इंटरनैट को सरकार ने कभी गंभीरता से नहीं लिया। पहली बार इस जेल में से मोबाइल फोन, सिम कार्ड और बैटरी तत्कालीन डिप्टी जेलर जंगीर सिंह ने खतरनाक आतंकवादी दया सिंह लाहौरिया से 21 सितम्बर 2006 को बरामद किए थे।
लाहौरिया के खिलाफ केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मिर्धा के भतीजे को अगवा करने और एंटी टैररिस्ट फ्रंट के प्रधान मनिंद्र जीत सिंह बिट्टा पर कातिलाना हमले की साजिश समेत एक दर्जन मुकद्दमे दर्ज थे। उसे जयपुर अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई और लाहौरिया इस जेल में 2 साल बंद रहा। उस समय केंद्रीय गृह मंत्रालय और पंजाब सरकार ने इस मामले को नजरअंदाज कर दिया, जिस कारण मोबाइलों का धड़ल्ले के साथ प्रयोग होने लगा। जेल में लगे जैमर के बावजूद भी मोबाइल बरामद होते रहे हैं।
सीनियर आई.पी.एस. अफसर निरलाभकारी किशोर के नेतृत्व में 3 नवम्बर 2006 को 100 से अधिक कमांडोज ने छापामारी करके बड़ी संख्या में मोबाइल और नशीले पदार्थ बरामद किए थे। 3 हवालातियों के खिलाफ मामले भी दर्ज हुए। फिर पुलिस जवानों ने 2 दिन चैकिंग की तो 14 मोबाइल 6, बैटरियां, 12 सिम कार्ड, सुल्फा-अफीम और 58 हजार नकदी बरामद की गई।
पाकिस्तानी जासूस सईद इकबाल इस जेल में चर्चा का केंद्र बना रहा। जम्मू-कश्मीर की खतरनाक महिला आतंकवादी रोशनी यहां कई साल बंद रही। पिछले साढ़े 10 सालों के दौरान 340 से अधिक मोबाइल बरामद हुए, डेढ़ साल पहले 2 खूनी कांड घटे, जिस कारण लॉरैंस बिशनोई और टाइगर समेत 9 कैदियों तथा 12 हवालातियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, फिर 29 मार्च 2016 को हवालाती पलविंद्र पिंदा को हथकडिय़ों समेत फायरिंग करके साथी छुड़ा कर ले गए। पिछले साल 27 नवम्बर की जेल ब्रेक के एक गैंगस्टर विक्की और एक हवालाती आतंकवादी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं परंतु सरकार ने अब भी कमांडोज और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात नहीं की। हालांकि 18 आतंकवादी इस जेल में अब भी बंद हैं।